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लोक चित्रकला – किसी भी क्षेत्र या स्थान की जातियों व जनजातीयों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही चित्रकारी की पारंपरिक कला को लोक चित्रकला कहते हैं
प्रमुख लोकप्रिय चित्रकला मधुबनी पेंटिंग, कलमकारी पेंटिंग, तंजावुर पेंटिंग, पिथौरा पेंटिंग आदि।
कलमकारी चित्रकला (आंध्रप्रदेश}
- यह सूती वस्त्र में नुकीले नोंक वाले बांस की लेखनी के प्रयोग से बनाई जाती है।
- प्रमुख केंद्र : श्रीकलाहस्ती & मछलीपट्टनम ।
- इसमें प्रयोग किया गया रंग वनस्पति रंजकों से निर्मित होता है।
मधुबनी चित्रकला {बिहार}
- इसे मिथिला चित्रकारी भी कहते है।
- बिहार के मधुबनी जिले का जितवारपुर गाँव इसका प्रमुख केन्द्र है।
- जी आई टैग: 2022
- यह कला बिहार के मिथिलांचल क्षेत्र के दरभंगा, मधुबनी सहित नेपाल के तराई क्षेत्र मे भी विस्तारित है।
चेरियल चित्रकला {तेलंगाना}
- यह चित्रकला कपड़े पर चित्रकारी करके तैयार की जाती है।
- यह नक्काशी कला का एक प्रकार है।
- इसमें स्क्रॉल / लपेटनो को लोकगायन समुदाय द्वारा निरंतर
- जारी कहानी या लोकगायन के रूप में चित्रित किया जाता है।
- यह प्रायः विशाल (45 फ़ीट तक) होते हैं।
- जी यार्च 2007
वर्ली चित्रकला {महाराष्ट्र}
- यह महाराष्ट्र की वर्ली जनजाति की प्रमुख चित्रकला है।
- विवाह के समय अनिवार्य रूप से बनाया जाता है।
- पहले दीवारों पर बनाया जाता था। अब कपड़ों, कागजों पर भी बनाया जाता है।
पट्टचित्र चित्रकला {ओड़िशा}
- पट्ट का अर्थ -: कपड़ा
- इस चित्रकारी का आधार कपड़ा है। …….
- इसे मुख्य रूप से दीवारों, कपड़ों तथा ताड़ के पत्तों पर बनाया जाता है। • इसमें जगन्नाथ भगवान व उनकी बहन सुभद्रा का चित्र प्रमुख है।
कालीघाट चित्रकला ( पश्चिम बंगाल )
- इसकी उत्पत्ति कालीघाट, काली मंदिर कोलकाता के आसपास क्षेत्र में हुई थी।
- इसमें हिंदू देवी देवताओं के चित्र प्रमुख है
गोंड चित्रकला ( मध्यप्रदेश )
- यह चित्रकला गोंड जनजाति द्वारा दीवारों में फर्श पर बनाई जाती है।
- जी आई टैग: 2023
- यह पेंटिंग प्रकृति, जानवर व धार्मिक विषयों के साथ-साथ उनके जीवन के तरीके को दर्शाती है।
पिथौरा चित्रकला {गुजरात}
- यह भील जनजाति द्वारा अपने त्यौहार पिथौरा पर घर की दीवारों में बनाया जाता है।
- आधुनिक समय में इसे कागज, कैन्वास, कपड़ों पर भी बनाया जाता है।
तंजौर चित्रकला {तमिलनाडु}
- इस चित्रकला को 16वीं शताब्दी में चोल राजवंश द्वारा पेश किया गया था।
- यह दक्षिण भारतीय चित्रकला में सबसे लोकप्रिय है।
पटुआ चित्रकला {पश्चिम बंगाल}
- लगभग 1000 वर्ष पुरानी चित्रकला है।
- इसमें हिन्दू-देवताओं व मंगल काव्यों की शुभ कहानियां चित्रित होती है।
पैंटकार चित्रकला {झारखंड}
- इसका संबंध “माँ मनसा” से है।
- इसका विषय -: मृत्यु के बाद मनुष्य के साथ क्या होता है • यह प्राचीन कला है परंतु निरंतर पतन के कारण विलुक्ति के कगार पर है।
मंजुषा चित्रकला {बिहार के भागलपुर क्षेत्र }
- इसे अंगिका कला भी कहते हैं, अंग का संबंध महाजनपद अंग से है।
- इसमें सर्प का रूपांकन सदैव विद्यमान रहता है इसलिए
- इसे सर्प चित्रकला भी कहते हैं।
- इसे जूठ व कागज के डिब्बो में बनाया जाता है।
फड़ चित्रकला {राजस्थान}
- इसे लपेट जाने वाले कपड़े [Scroll] पर बनाए जाते हैं।
- 15 से 30 फीट तक लंबे होते हैं।
- इसकी प्रकृति धार्मिक है।
सौरा / लॉन्जिया सौरा (ओड़िशा}
- इसे उड़ीसा की सौरा जनजाति द्वारा बनाया जाता है।
- यह एक भित्ति चित्रकला है।
- इसे इटालोन / आइकॉन भी कहते हैं।
- टी-शर्ट और महिलाओं के परिधानों पर सौरा शैली की इन
- डिजाइनों का चित्रण मिलने लगा है।
बसोहली चित्रकला {जम्मू कश्मीर}
जी आई टैग: 2023
अरोफ़ चित्रकला {हिमांचल प्रदेश}
सोहराई व कोहबर {झारखंड)
- यह चित्रकला 5000 वर्ष पुरानी चित्रकला मानी जाती है।
- यह चित्रकला गुफा की दीवारों से घरों की दीवारों तक
- अपना स्थान बनाने में सफल रही है
महत्वपूर्ण फर्श चित्रकला
- रंगोली -: महाराष्ट्र
- रंगवाली : कर्नाटक
- मंडाना -: राजस्थान
- एपन -: उत्तराखंड
- मुगुल्लु -: आंध्रप्रदेश
- अरिपन -: बिहार
- अल्पना -: पश्चिम बंगाल
- कोलम -: तमिलनाडु
- कलामा जट्टू -: केरल
Note -: कोलम को भाग्य व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है