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पर्यावरणीय एवं पारिस्थिकीम तंत्र
(i) वन / वनस्पति
(ii) जैव विविधता
(ⅰ) वन / वनस्पति
वनस्पति का निर्धारण – मृदा एवं जलवायु भिन्नता के कारण,
इस कारण भारत की प्राकृतिक वनस्पति को निम्न भागो में विभाजित,
(ⅰ) उष्ण कटिबंधीभ सदाबहार एवं अर्द्ध सदापहार,
(ii) उष्ण – कटिबंधीभ पत्झड, एवं पर्णपाती वन,
(iii) उष्ण कटिबंधीय काटेदार वन,
(vi) पर्वतीभ वन. लसनगर
(v) अनुप । बेलाइची वन,
राजस्थान : –
(i) उपोषण
(ii) शीतोष्ण,
(i) सदाबहार
(ii) पतझड / पर्णपाती
(iii) कांटेदार
(iv) पर्वतीभ
(v) अनुप
(ⅰ) सदाबहार वन :-
सदाबहार वन की औसत वर्षा :- 200 cm
विस्तार – पश्चिमी घाट, उत्तर-पूर्वी राज्य
विशेषता:
( i ) सर्वाधिक जैव विविधता है. इस कारण इसको पृथ्वी के फेफडे. कहते हैं –
( ii ) इनमें फल-फूल पत्तिभों के आने का समय अलग- अलग है इसी कारण इनको सदाबहार कहते है-
प्रमुख वृक्ष :- शेजवुड, महोगरी, ऐनी, ऐबानी, ताड., नारिमल
अर्द्ध सदाबहार वन :- से इसी क्षेत्र में मिलते है. ये सदाबहार एवं आर्द्र पर्णपाति के मिश्रित है- जैसे प्रमुख वृक्ष :- केल, ढोलक, साइडर / स्नाइडर
पतझड / पर्णपाती :-
औसत वर्षा- 70-200 cm
विस्तारः इन बनो को जल उपलब्धता के कारण 2 भागो में विभाजित
(1) अर्द्ध पर्णपाती वन :- वर्षा -100-200cm
विस्तार – पश्चिम घाट का पूर्वी माग हिमालय का गिरीपद (तल) एवं ओडिशा में मिलते हैं-
प्रमुख वृक्ष सागवान, साल, शीशम, महुआ, आंवला, चंदन, कुसुम,
(iⅱ) शुष्क पर्णपाती वन :-
औसत वर्षा – 70-100 cm
विस्तार – प्रायद्धीपीम पठार, वृक्ष – तेंदु, अमलतास, अक्सलवुड,
(iii) उष्ण कटिबधीय कांटेदार वन :-
औसत वर्षा- 50 cm से कम,
विस्तार – राज. पजाब, हरियाणा, गुजरात, UP. MP, प्रमुख तक्ष- कैर, खैर, खेजडी, रोहिडा, नागफनी, बबूल, बैर, खजुर, आदि।
विशेषता – पर्णरहित
(4) उष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वन :-
- औसत वर्षा-100-200 cm
- ऊँचाई की ओर जाने पर तापमान में कमी आती है. इस कारण वनस्पति में भी भिन्नता मिलती है
- इनको 2 भागो में विभाजित करते है
(ⅰ) उत्तरी पर्वतीय
(ii) दक्षिण पर्वतीभ
(ⅰ) उत्तरी पर्वतीय –
- 1500 से 1750 मी. की ऊँचाई तक ओक, चेस्टनगर, चोड. वनस्पति मिलती है।
- देवदार – विनिर्माण उद्योग प्रयुक्त में उपभोग
- चीड.- रेल पटरी बिछाने के लिए उपभोग,
- 2225 m से 3050 तक ऊँचाई – स्प्रुश, बल्युपाइन, 3000 m से 4000m ऊँचाई तक – सिल्वर फर, जुनिपर, पाइन, बर्च।
(ii) दक्षिण पर्वतीभ वन :- इनको 3 उपभागो में विभक्त किमा गभा है,
(ⅰ) पश्चिम घाट,
(ii) पूर्वीघाट,
(iii) विन्ध्भाचंल
दक्षिण भारत में नीलगीरी एवं अन्नामलाई पहाडियो में इनको शैलास कहते है-
5. अनुप भा वेलाइंची | ज्वारिभ वन | डेल्टाई वन :-
मैंग्रोव वन-
- निर्माण : लवणीभ झीनो, दलदली क्षेत्र
- यह वृक्ष पक्षियों को शरण देते है.
- इसके 70% भाग पर चावल की खेती,
- सर्वाधिक – पं. बगाल, गुजरात, ALN, आन्ध्र प्रदेश,
- भह अर्द्धभुमी को संरक्षण,
- अर्द्ध भुमी से संबंध – रामसर, वेटलैण्ड,
- भारत में आर्द्रभुमी के लिए 8 स्थान चमनित है.
(ⅰ) दक्षिण भारत की झीले व पश्चिम तट की लैगुन झील,
(ii) पूर्वी तट के ज्वारिभ वन एवं लैगुन झील (चिल्का)
(iii) राज.- गुजरात की खारे पानी की झीले,
(iv) राज. (केवलादेव) व MP की मीठे पानी की झीले,
(v) गंगा का मैदान करछ (दलदली क्षेत्र)
(vi) ब्रहमपुत्र बाढ़ क्षेत्र,
(vii) तर, व लद्दाख की पर्वतीभ झील,
(VIII) ALN, एवं लक्ष्ह्वीप के मैंग्रोव आद्र भूमि,
उदहारण – नीपा, फोनिक्स, सुन्दरी, केसुरीना
प्रशासनिक आधार पर वनो का विभाजन :
1.आरक्षित (Researved) -सरकार का पूर्ण नियंत्रण, पशु चारण नहीं,
2. संरक्षित (Protected) – सरकार की अनुमति पर पशुचारण संभव
3. अवर्गीकरत (Unclassifiad) – इनकी कटाई, पशुचारण
17 वी वन रिपोर्ट
जारी – 13 जनवरी २०२० को पर्यावरण वन एवं जलवायु मत्रालभ भूपेन्द्र सिंह जी के द्वारा,
- प्रथम बन रिपोर्ट जारी – 1987
- प्रति 2 वर्ष बाद जारी की जाती है-
- इस वन रिपोर्ट के अनुसार वनी में भारत की स्थिती,
- भारत का वनावरण 7,13,789 km² (21.711.)
- भारत का वृक्षावरण – 95.748 km² (2.91.1)
- कुल बनावरण व वृक्षावरण = 809537 km² (24.62.1)
- पनावरण में वृद्धि – 1540 km² (0.22.11)
- वृक्षावरण में तद्धि – 721 km² (0.76%)
- वनावरण व वृक्षावरण में तदि = 2261 km² (0.98-1.)
सर्वाधिक वन राज्भ
(ⅰ) मध्यप्रदेश – 77493 km²
(ii) आन्ध्र प्रदेश – 66431 km²
(iii) छतीसगढ़ 55717 km²
कम वन राज्भ
(ⅰ) हरियाणा – 1603 km²
(ii) पजाब 1847 µm²
(ⅲ) गोवा 2244 km²
सर्वाधिक प्रतिशत वन राज्य
( ⅰ ) मिजोरम – 84.53%
( ii ) आन्ध्र प्रदेश- 79-33%
( iii ) मेघालय – 76.1 %
कम प्रतिशत वन राज्भ
(ⅰ) हरियाणा – 3.63%.
(ii) पजांब 3-67%
सर्वाधिक प्रतिशत (केन्द्रशासित प्रदेश)
(ⅰ) लक्षदीप – 90.33%
(ii) A2N 81-75-1.
कम प्रतिशत (केन्द्र शासित प्रदेश)
( i )पुडुचेरी – 10.86%.
( ii ) दिल्ली – 13.5-1.
सर्वाधिक वनो में वृर्द्धि
( ⅰ ) आन्ध्र प्रदेश – 647 km²
( ii ) तेलगांना 632 km²
( iii ) ओडिशा 537 km²
- कुल मैग्रोव वन = 4992 km²
- इस बन रिपोर्ट में 17 Km की वृद्धि हुई है-
सर्वाधिक मैंग्रोव वनः-
(ⅰ) पश्चिम बंगाल 2114 km²
(ⅱ) गुजरात 1175 km²
( iii ) ALN – 616 km²
सर्वाधिक मैंग्रोव वनो में वृद्धि:-
(ⅰ) ओडिशा – 8 km²
(ii) महाराष्ट्र – 4 km²
(iii) कर्नाटक 3 km²