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भारत में आर्थिक नियोजन pdf

आर्थिक नियोजन क्या है –

आर्थिक नियोजन से तात्पर्य है की किसी देश के संसाधनों एवं सेवाओं का निश्चित अवधि में पूर्वानुमान एवं कुशलतम उपयोग।

भारत में आर्थिक नियोजन का विकास –

  • 1994 भारत में नियोजन की पहली रूपरेखा एम विश्वेश्वरैया ने अपनी पुस्तक ” प्लांड इकोनॉमी ऑफ़ इण्डिया ” में प्रदर्शित करना।
  • 1938 कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस की पहल पर राष्ट्रिय योजना समिति ( NPC ) का गठन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में की गयी।
  • 1944 में आठ उद्योगपति द्वारा बॉम्बे प्लान तैयार किया गया। ( इसमें 15 वर्षों में -10,000 करोड़ का खर्च )
  • 1944 में एम.एन. रॉय द्वारा साम्यवादी प्रणाली पर आधारित जन योजना तैयार किया गया।
  • 1945 में श्री मन्नाराय द्वारा गाँधी वादी योजना तैयार किया गया।
  • 1950 में जयप्रकाश नारायण ने गाँधी जी के सर्वोदय पर आधारित सर्वोदय भोजन पर बल दिया।
  • आर्थिक नियोजन एक संगठित आर्थिक प्रयास है, जिसमें राज्य द्वारा निश्चित अवधि में आर्थिक एवं सामाजिक लक्ष्यों के प्राप्ति करने के लिए प्राकृतिक, आर्थिक और मानवीय संसाधनों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाता है।
  • आर्थिक नियोजन का अर्थ स्वीकृत राष्ट्रीय प्राथमिकता के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओ में प्रयोग करना है।
  • भारत में नियोजन समवर्ती सूची का विषय है।

नियोजन का उद्देश्य

  • संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना। निर्धनता एवं बेरोजगारी को दूर करना।
  • आत्मनिर्भरता एवं आधुनिकीकरण करना।
  • कृषि एवं उद्योगों का समन्वित विकास करना।
  • सामाजिक विकास एवं लक्ष्यों को प्राप्त करना।
  • आधारभूत ढाँचो का विकास करना।
  • निवेश एवं पूँजी निर्माण को बढ़ावा देना।
  • तीव्र आर्थिक विकास के साथ-साथ समावेशी विकास पर बल देना।

नियोजन के प्रकार

  1. क्षेत्रीय व्यापकता के आधार पर –
    राष्ट्रीय, क्षेत्रीय नियोजन
  2. योजना निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर
    केंद्रीकृत, विकेंद्रीकृत नियोजन
  3. राज्य के हस्तक्षेप के आधार पर
    आदेशात्मक,निर्देशात्मक नियोजन
  4. लक्ष्य प्राप्ति की रणनीति के आधार पर
    संरचनात्मक, प्रकार्यात्मक नियोजन
  • संसाधनों का उचित दोहन करना ही, आर्थिक नियोजन कहलाता है।
  • भारत मे आर्थिक नियोजन की अवधारणा सोवियत संघ के मॉडल पर आधारित है।
  • सोवियत संघ में आर्थिक नियोजन को गाँस प्लान कहा जाता था। इसकी शुरुआत वर्ष
  • 1928 में पंचवर्षीय योजना के साथ हई।
  • भारत में आर्थिक नियोजन प्रणाली शुरु करने का श्रेय सर मोक्षगुण्डम विश्वेश्वरैय्या को दिया जाता है।
  • सर विश्वेश्वरैय्या द्वारा रचित पुस्तक भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था (Planned Economy for India)’ वर्ष 1934 में प्रकाशित हुई।
  • सर विश्वेश्वरैय्या ने भारत के नियोजित आर्थिक विकास के लिए 10 वर्षीय योजना को प्रस्तावित किया।

कांग्रेस योजना

  • भारत में वर्ष 1938 में जवाहर लाल नेहरू (कांग्रेस का हरिपुरा अधिवेशन) की अध्यक्षता में आर्थिक नियोजन समिति बनाई गई थी।
  • इस समिति में देश की आर्थिक समस्याओं के सभी पहलुओं का अध्ययन किया।
  • इस योजना को राष्ट्रीय योजना के नाम से भी जाना जाता है।

बॉम्बे प्लान

  • मुम्बई के 8 उद्योगपतियों द्वारा वर्ष 1944 में अर्देशिर दलाल की देख-रेख में एक योजना प्रस्तुत की गई, जो बाम्बे प्लान कहलाती है।
  • इस योजना में शामिल प्रमुख उद्योगपति पुरुषोत्तम दास ठाकुर, जे.आर.डी. टाटा, जी.डी. बिरला, लाला श्रीराम, कस्तूर भाई, लाला भाई, ए.डी. श्राफ, जॉन मथाई तथा अर्देशिर दलाल

गांधीवादी योजना

  • वर्ष 1943 में गांधीवादी योजना श्री मन्नारायणे के द्वारा प्रस्तुत की गई। (10 वर्षीय) इस योजना में कृषि क्षेत्र एवं लघु कटीर उद्योगों के विकास पर बल दिया गया।

जन योजना

  • एम.एन. राय द्वारा वर्ष 1945 में जन योजना प्रस्तुत की गई।
  • एम.एन. राय भारतीय श्रम संघ के प्रमुख थे। (10 वर्षीय)
  • जन योजना साम्यवादी सिद्धांतों पर आधारित थी।

सर्वोदय योजना

  • वर्ष 1950 में जय प्रकाश नारायण द्वारा सर्वोदय योजना प्रस्तुत की गई।
  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य अहिसात्मक ढंग से शोषण विहीन समाज की स्थापना करना था।

योजना आयोग

  • भारत में आजादी के बाद योजना निर्माण हेतु स्थापित केन्द्रीय निकाय योजना आयोग है।
  • योजना आयोग का गठन वर्ष 1946 में के.सी. नियोगी की अध्यक्षता में स्थापित सलाहकार योजना बोर्ड की सिफारिश के बाद किया गया।
  • योजना आयोग का गठन 15 मार्च, 1950 को हुआ। यह एक अर्द्ध-संवैधानिक संस्था (संविधानेत्तर निकाय/गैर-सरकारी है।
  • योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।

भारत में आर्थिक नियोजन

  • योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरू तथा प्रथम उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नंदा थे।
  • योजना आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, जिसे कैबिनेट स्तरीय मंत्री का दर्जा प्राप्त है।
  • 1 जनवरी, 2015 को योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग का गठन किया गया 

नीति आयोग

  • नीति आयोग की स्थापना, योजना आयोग के स्थान पर भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2015 को किया गया।
  • नीति आयोग एक गैर संवैधानिक निकाय है। जो भारत सरकार का थिंक टैंक है।
  • नीति आयोग का पूर्णरूप राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (National Institution for Transforming India) है।
  • नीति आयोग योजना आयोग की तरह कोई वित्तीय आवंटन नहीं करता।
  • इसका मुख्य कार्य सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दो पर सरकार को सलाह देना है।
  • नीति आयोग की संरचना में अध्यक्ष, उपाध्य, सी.ई.ओ., पूर्णकालिक सदस्य, पदेन सदस्य, शासी परिषद् तथा विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल है।
  • नीति आयोग का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है। प्रथम एवं वर्तमान अध्यक्ष-नरेंद्र मोदी नीति आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है।
  • note – उपाध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है। (प्रथम उपाध्यक्ष-अरविन्द पनगढ़िया, वर्तमान-डॉ. सुमन के. बेरी)
  • सी.ई. ओ. भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं। जिसे एक निश्चित कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है। (प्रथम CEO- सिन्धु श्री खुल्लर, वर्तमान-परमेश्वरन अय्यर)
  • पूर्णकालिक सदस्यों की संख्या 5 होती है। जिन्हें राज्यमंत्नी के बराबर का दर्जा प्राप्त होता है। (वर्तमान-बी. के. सारस्वत, प्रो. रमेश चन्द, वी.के. पॉल)
  • पदेन सदस्यों की अधिकतम संख्या 4 होती है, जो प्रधानमंत्नी द्वारा नामित होते है। (वर्तमान-राजनाथ सिह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण, नरेन्द्र सिह तोमर)
  • विशेष आमंत्रित सदस्य में नितिन गडकरी, थॉवर चन्द गहलोत, पीयूष गोयल, इन्द्रजीत सिह शामिल है।

राष्ट्रीय विकास परिषद्

  • राष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना के.सी. नियोगी समिति की सिफारिश पर 6 अगस्त, 1952 को एक संविधानेत्तर एवं सलाहाकारी निकाय के रूप में की गई।
  • राष्ट्रीय विकास परिषद् को योजना आयोग का पितामह कहा जाता है। योजना आयोग द्वारा पंचवर्षीय योजनाओं का अनुमोदन राष्ट्रीय विकास परिषद् द्वारा किया जाता है।
  • राष्ट्रीय विकास परिषद का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है एवं योजना आयोग का सचिव इसका पदेन सचिव होता है।
  • राष्ट्रीय विकास परिषद् में योजना आयोग के सभी सदस्य, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री/उपराज्यपाल/प्रशासक, केन्द्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों के मंत्री तथा कुछ आर्थिक विशेषज्ञ को सदस्यों के रूप में शामिल किया गया।
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