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कालीबंगा सभ्यता :-
- नदी – घग्घर / सरस्वती नदी, मृत नदी , द्वेषवती नदी , नट नदी
- शाब्दिक अर्थ- काली चूड़िया
- खोज 1951-52 अम्लानन्द घोष –
- उत्खनन – 1961-69 बी.बी. लाल बी. के. थापर
- कालीबंगा जानकारी लुईस टेस्सीटोरी ने दी।
- दशरथ शर्मा ने कालीबंगा को सिन्धुघाटी की तीसरी राजधानी कहा । (पिग्गट अनुसार भी
- समय – 2350-1750 ईसा पूर्व ।
कालीबंगा सभ्यता की विशेषता :-
- यह कस्य युगीन सभ्यता थी।
- इसकी खोज स्वतंत्रता बाद की गयी।
- यहाँ पर दो टीले मिले ।
- नगर दो भागों में विभक्त, पश्चिमी नगर दुर्गीकृत व पूर्वीभाग अदुर्गीकृत था।
- सड़के – समकोण पर काटती है।
- लकडी की बनी नालियाँ मिली (पक्की व ढ़की हुई).
- समकोण पर काटती हुई सड़के । ग्रीन सिस्टम / शंतरंज जैसी
- जूते हुए खेत के एकमात्र साक्ष्य यहीं से प्राप्त हुए है।
- मुख्य फसल – गैंदु व जौ थी। कपास की इस सभ्यता में ” सिडन” कहा जाता था।
- अग्निकुण्ड के दृश्य, 7 अग्नेवैदिकाएँ मिली, युग्म- समाधियाँ, बेलनाकार मुहरे, तांबे के बैल की आकृति भूकम्प के साक्ष्य, ईटों के मकान के साक्ष्य मिले हैं।
- गोल कुँओं के साक्ष्य ।
- ऊँट पालने की जानकारी।
- पंख फैलाएँ ‘बगुले पक्षी प्रतिमा’।
- नाचते पक्षी मृण मूर्ति मिली।
- गाय मुखाकृति वाले प्याले ।
- संस्कृत साहित्यों के अनुसार “बहुधान्यदायक क्षेत्र” कालीबंगा था
- इन्हें तने को खोखला करके पाईप बनाने का ज्ञान था।
- लाल’ रंग मृदभाण्ड मिले जिनपर 1 काले व सफेद रंग रेखाचित्त थे।
- जुड़वा पैर युक्त वृषभ । बैल के साक्ष्य 4 मुद्रा पर व्याघ्र चित्र ।
- प्रये लोग शव को गाइते थे “अण्डाकार कब्र “मिली प्रसिन्धु घाटी सभ्यता में जी घर मिले है उनके दरखाने मुख्य सड़क पर न खुलकर गली में खुलते है।
- कालीबंगा में भी ऐसे घर मिले हैं। अपवाद – लोथल गुजरात – यहाँ पर मुख्य दरवाजे सड़क पर खुलते हैं।
- शल्य चिकित्सा के अवशेष जहाँ बालक की खोप
- ड़ी में 6 हेहद मिले।
- खिलौना गाडी मिली है।
- भूकम्प के अवशेष & काले मृद पात्र ।
- यहाँ पर स्वास्तिक का चिन्ह मिला।
- एक सिक्के पर व्याघ्र व दूसरे पर कुमारी देवी का चित्र मिला है जिससे मातृ सत्तात्मक व्यवस्था की जानकारी मिलती है।
- कुत्ते पालते थे।
- पशु अलंकृत ईंट मिलती है ९ बनि प्रथा का का प्रचलन था ।
- कालीबंगा से तीर भी मिले है।
- मातृदेवी की कोई मूर्ति नहीं मिली है वो दाँही से बॉटये फिर बाँए से दाँए लिखी जाती थी जिसे सपदिार
- गौमूत्राकार या बोस्ट्रीफेदम कहते हैं।
- इसकी अभी पढ़ा नहीं गया।
- इनके चूल्हें वर्तमान तन्दूर की तरह थे। 4 बड़े-बड़े स्नानहार $ अन्न घर मिले।
- इसे ‘दीन हीन की बस्ती’ कहा जाता है। vote – कालीबंगा से धोई. लोहा, मातृशक्ति व मंदिरों अवशेष नहीं मिलें ।
Notes के. यू. आर. केनेड़ी के अनुसार इस सभ्यता का फ्तन संक्रामक रोग से जबकि अन्य इतिहासकारों के अनुसार प्राकृतिक आपदा से हुआ।
Note यहाँ से जो प्राक् हड्प्पा कालीन मृद भाण्ड मिले है जिन्हें अम्लानन्द घोष ने “सीथी मृद भाण्ड कहा।