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महाजनपद :- [600 से 325 ई.पू.]
- महाजनपद उत्तर वैदिक काल में बने प्रारम्भ से ये कबिले के रूप में थे।
- कबिला जनपद बना व जनपद महाजनपद स्ना।
- कुल महाजनपद की संख्या 16 थे।
- जनपदो की जानकारी बोद्ध ग्रन्थ के असुंत्र निकाय में मिलती है।
- सिकन्दर के आक्रमण के समय मालवा शिनी अजुर्नाधन जाति होक अजमेर चितौड़बड़ भरतपुर में बरसी थी।
मरू या जागेल :-
- वाल्मिकी की रामायण में राजस्थान का नाम मरू या जागेल मिलता है।
- महाभारत काल में इस क्षेत्र को जांगल प्रदेश’ कहा जाता था। इसमें बीकानेर व जोधपुर का क्षेत्र आता था।
- इसकी राजधानी अदित्रपुर नागौर था ।
- बीकानेर शासकों को जजंगलघर बादशाह कहा जाता थाहै।
मत्स्य जनपद :-
- इसमें अलवर, जयपुर, भरतपुर, दौसा क्षेत्र आता था।
- महाभारत के समय यहां का राजा
- यहाँ की राजधानी विराटनगर ” थी।
- बाढ़ में मत्सय जनपद मगध जनपद में मिल गया।
गुरसेन जनपद :-
- राजधानी – मथुरा
- अपवर का पूर्वी भाग आता था ।
- भगवान श्री कृष्ण का सम्बध बसी जनपद से है
सांबी या कीवी :-
- मेवाड़ का प्राचीन नाम सीवी या कीती था।
- इसकी राजधानी मध्यमिका थी।
‘मालवा जनपद :-
- अजमेर टोक के आस-पास मालवा जाति थी।
- सर्वाधिक सिक्के भातरा जाति के मिले हैं।
- उसकी राजधानी मालवा थी।
कुरू जनपद :-
- इसमे अत्तदर का उत्तरी भाग आता है।
- रुसकी राजधानी इन्द्रप्रस्थ ची।
योद्वय जनपद :-
- इसमे गंगानगर, हनुमानगढ़ का क्षेत्र आता है।
महाजनपद
- मरू या जाँगल – बीकानेर, जोधपुर ( अहित्रपुर )
- सीवी या कीवी – मेवाड़ ( माध्यमिक )
- मालव जनपद – अजमेर टोंक के आस पास ( मालवा )
- शूरसेन जनपद – मथुरा, अलवर का पूर्वी भाग ( मथुरा )
- कुरु जनपद – अलवर का उत्तरी भाग ( इन्द्रप्रस्थ )
- मत्स्य जनपद – अलवर, जयपुर, दौसा, भरतपुर ( विराटनगर )