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कोटपूतली बहरोड़ जिला दर्शन | Rajasthan Ka Kotputli – Behror Jila pdf

जिला – कोटपूतली बहरोड़

कोटपूतली बहरोड़ के अन्तर्गत 8 तहसील व 7 उपखंड आते है।

कोटपूतली बहरोड़ के अन्तर्गत 8 तहसील आती है:

  1. बहरोड़
  2. बाणसूर
  3. नीमराणा
  4. विराटनगर
  5. नारायणपुर
  6. कोटपूतली
  7. मांदन
  8. पावटा

कोटपूतली बहरोड़ हरियाणा के रेवाड़ी व महेन्द्रगड से अन्तर्राज्यीय लगाता है।

मुख्य नदियाँ : साबी व बाणगंगा कोटपूतली व बहरोड़ मुख्य नदियाँ है।
NCR व कुरु महाजनपद का क्षेत्र कोटपूतली बहरोड़ में हैं।
कोटपूतली को कोटकासिम भी कहते है

1857 की क्रांति में अंग्रेजो का साथ देने के कारण जयपुर महाराजा रामसिंह II को कोटपूतली परगना मिला था।

जिलागी माता का मंदिर भी कोटपूतली-बहरोड़ में स्थित है।

सबसे सुंदर बकरी झखराना कोटपूतली बहरोड़ में ही पायी जाती है।

बहरोड़ :- यह राठ क्षेत्र में आता था।

इसका प्राचीन नाम सालीवाहनपुर था।

बहरोड़ तहसील में अहीरबाटी भाषा बोली जाती है।

बहरोड़ के अन्तर्गत मुर्रा नस्ल की भैंसो का प्रसिद्ध मेला लगता है।

बाणसुर : प्राचीन समय में जयपुर व अलवर की सीमा का निर्धारण बाणासुर से ही होता था।

दुर्ग :-
बाणसुर दुर्ग
हाजीपुर किला

बाणसुर दुर्ग को अलवर क्षेत्र का सीमा प्रहरी कहा भी जाता है।

3. नीमराणा :

यहाँ राज्य का तीसरा निर्यात संवर्धन पार्क भी नियति स्थित है।

नीमराणा के अन्तर्गत नीमराणा जैट्रो पार्क व जापानी पार्क भी स्थित है।

यहाँ नीमराणा दुर्ग/ पंचमहल दुर्ग भी स्थित है। Parle G की फैक्ट्री भी नीमराणा के अंदर स्थित है।

यहाँ नौ मंजिल बावड़ी या नीमराणा बावड़ी भी स्थित है

कोटपूतली:

जोधपुरा सभ्यता कोटपूतली में है। यह सभ्यता साबी नदी के किनारे स्थित है। इसका उत्खनन 1972-73 ई. में R.C. अग्रवाल व विजय कुमार के नेतृत्व में हुआ है।

कोटपूतली में बाबा खेतनाथ का मंदिर भी स्थित है।

पावटा: यहाँ 2023 बजट के अन्तर्गत बुचारा तेंदुआ अभ्यारण्य बनाया गया है।

विराटनगर :

  • विराटनगर राजा विराट द्वारा बसाया गया ।
  • यह प्राचीन काल में मत्स्य जनपद राजधानी थी। विराटनगर को बैराठ भी कहते है। –
  • बैराठ सभ्यता बाणगंगा नदी के किनारे ही स्थित है।
  • यहाँ बीजक की डूंगरी , भीम डूंगरी गणेश डूंगरी व महादेव डूंगरी भी स्थित है।
  • खोजकर्ता : दयाराम झाहनी
  • पुनः उत्खनन : नील रत्न बनर्जी व कैलाशनाथ दीक्षित ।
  • मौर्यकालीन व बौद्ध कालीन संस्कृति के अवशेष मिले है
  • यहां शंख लिपि के प्रमाण मिले है।
  • यहा इंडो-ग्रीक यूनानी सिक्के व मिनेण्डर के सिक्के भी मिलते है।
  • बैराठ का नाम ह्वेनसांग ने पारयात्र नाम दिया।
  • विराटनगर में पंचमहला दुर्ग भी स्थित है। जिसका निर्माणि राजा मानसिंह ने करवाया था।
  • यहाँ महात्मा बुद्ध की अस्थियाँ भी मिली है।
  • भैंसलाना (काला संगमरमर) भी कोटपूतली बहरोड़ में ही पाया जाता है।

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