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राजस्थान के आभूषण

राजस्थान के प्रमुख आभूषण – दोस्तों आज हम राजस्थानी महिलाओं के आभूषण राजस्थानी पुरुषों के आभूषण तथा बच्चों के आभूषणों के बारे में पढ़ेंगे। यह टॉपिक राजस्थान जीके का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है।

सिर व मस्तक के आभूषण – 

रखड़ी –
‣ माँग के आगे के भाग में पहनी जाती है यह बोरले के समान होती है।

शीर्षफूल –
‣ सोने की बनी सांकल जिस पर फूल के चित्र बने होते है, यह कानों के पास बालों में लगायी जाती है।

पतरी –
‣ रखड़ी के नीचे माथे के दोनों ओर तीन-चार इंच चौड़ा सोने – चाँदी का पत्र पतरी कहलाता है।

टीको –
‣ सोने का बना जो माथे पर लटकाया जाता है, इसे तलक भी कहते है।

झेला –
‣ सोने – चाँदी की लड़िया जो कानों के पास बालों में लगायी जाती  है। 

इसके अलावा चूडारत्न , ताविद , टिडीभलकों , मांगटीका , बोरलो, फिणी , गोफण, गेड़ी , काचर , चूड़ामण , टीकी , टीका , टीडी, टोटी , सांकली, तिलकमणि  तीबगट्टो, फूलगूधर , मांगफूल , मावटी, मेमंद, मैण, मोडियौ , मोरमींडली, सरकयारौ, सिणगारपटी, सूवालळकौ, सेलड़ौ, सिवतिलक, सोहली, सिरपेच आदि ।

कान के आभूषण – 

झुमकी –
‣ सोने -चाँदी से बनी, जिस के नीचे घुंघरु लगे होते है।

लटकन –
‣ सोने – चाँदी से बनी पतली चेन के समान

बाली –
‣ सोने – चाँदी का बना गोल आभूषण 

ओगन्या –
‣ पीपल के पत्ते के समान जो कान के उपरी भाग में पहना जाता है।

कुड़के , चोप , चुनी, बारी, कुड़कली , बाली, कोकरु, खींटली , छैलकड़ी , झाळ , झूमणं / झूमर / झुमका , झेलौ , डुरंगलौ, तड़की, पत्तीसुरलिया, पासौ, पीपळपान , बाळा , बुझली, लटकण , वेड़लौ, संदोल, सुरगवाली, ठोरियौ , माकड़ी,  ऐरंगपत्तों , ओंगनिया, कर्णफूल , पीपलपत्रा , फूल झूमका , अंगोदिया , भेला , टॉप्स , पत्ती, सुरलियाँ , मोरफवर , झाले, बारेठ, एरेन आदि ।

ओगनियो = कान के ऊपर की लोट में पहना जाने वाला सोने या चाँदी की एक लटकन जैसा होता है। इसे पीपल पतो, पीपलपानो भी कहा जाता है।

एरंगपतो , कर्णफूल , कुड़कली , खीटली , छैलकडी , जमेलो

झूटणों = कान में पहने जाने वाले इस आभूषण पर एक लोकगीत भी प्रचलित रहा है

झूमणू, झूमर ( Chandelier ) , झूमका कर्ण के आभूषण विशेष

टोटी-झूमर = कान के नीचले भाग में पहने जाने वाला एक आभूषण विशेष इसे मेघवाल जाति व जाट जाति की महिलाएं अधिक पहनती है

टोटी , टोरियो , डरगनियो, तड़कली , पीपलपत्र, पासो , पीपलपान, बाली, लटकन, माकड़ी, सन्दोल , वेडलो , बूसली कुछ अन्य प्रमुख कान के आभूषण है।

नाक के आभूषण – 

नथ –
‣ बायीं नाक में पहनी जाती है जिसमें मोर – मोरनी की आकृति होती है।

लूंग –
‣ सोने का बना जिसमें नग लगा होता है , बिना नग की लूंग काटा होती है।

बेसरी –
‣ इसमें नाचते मोर की आकृति होती है , बणी- ठणी चित्र में नायिका के नाक में बसेरी पहनायी गई है । 

वारी, कांटा , चूनी, लौंग , लटकन, चोप, बलनी, कोकौ, खीवण, नकफूल , नथ- बिजली, बुलाक , फीणी ( मोटा लौंग ) , तिल्ली ।

दाँत के आभूषण – 

चूप ( दाँत खोदकर उसमें सोने की जड़ाई ) , रखन ( दाँत पर सोने – चाँदी का कवर ) , धांस आदि । 

गले के आभूषण – 

हांसली –
‣ सोने – चाँदी से बना बीच में से चौकोर तथा किनारों पर पतला आभूषण । इसे खुँगाली , हँसली, हाँस कहते है।

हालरा –
‣ कपड़े पर सोने से ठप्पा लगाकर पाटले के आकार का आभूषण जिस पर चित्र बने होते है। 

बजंटी –
‣ सोने के मोतियों को कपड़े पर सिलकर उनके बीच देवी- देवताओं की मूर्तियाँ लगायी जाती है।

झालरा –
‣ सोने -चाँदी से बना आभूषण जिसमें घूँघरु लगे होते है।

हार –
‣ सोने -चाँदी से बना जिसमें कीमती नगों की जड़ाई होती है। 

चंद्रहार –
‣ 5-7 लड़ियों का हार ।

चंपाकली –
‣ चंपाकली के पत्तियों के समान 

थमण्यों/आड़ –
‣ चीलों की  लड़ियों के मध्य चार अंगुल लम्बी मोगरी की सोने की डंडी लगाकर बनाया गया आभूषण ।

हमेल –
‣ सोने का बना जो शेखावाटी का प्रसिद्ध है।

कंठी –
‣ सोने का बना जिसके बीच में लॉकेट होता है ।

माँदलिया –
‣ ढोलक की आकृति का जो काले धागे में पहना जाता है।

खुंगाली :- ये गले मे पहनने का सोने या चांदी का आभूषण है, जो हंसुली की हड्डी के पास रहता है

छेड़ियो , झालरों, ( Champakali, Chhedio, Frost ) (ठुसी :- ये वर्तमान में प्रचलित नेकलेस का ही रूप है, बस थोड़ा भारी होता है, नेकलेस से)।

तिमणियो :- ये गले का आभूषण विशेष है जो अपने ईष्ट देव के नाम का बनवाया जाता है, मांदलिया का ही एक रूप।

तुलसी , दुगदूगी, नक़्क़स, निबौरी , निगोदर, पचमाणियो , पचलडी , पटियो , मंगलसूत्र, माणिक्यमाला , मुक्तमाला, हंसली, हारलियो, हमेल, हांस , होदल , पाट , हाकर , मटर माला, मोहन माला, जालरो , चन्दन हार , जुगावली।

इसके अलावा मटरमाला, चंद्रमाला, चोकी , कण्ठाहार , वैजयंती , गलसरी, म्हेल ,तुलसी बजटो , आड़पोत , लॉकेट , रामनामी , तुलसी, हालरो , तिमणियाँ , पोत , कंठहार , हांकर , हंसहार , सरी, कंठी, झालरो , जंजीर, पंचलड़ी , खुंगाली, रानीहार , कंठल, कंठसरी, कांठलियौ , गलसांकलौ , मंगलसूत्र,टेवटा , महल, डोरौ, तखति, तगतगई , तांतणियौ, तेडियौ, तेवटियौ, थालौ, दसमुद्रिका, नक्कस , निंबोली, निगोदर , निगोदरी, पचमाणियौ, पटियौ, पाट, बंगडी, बटण, बाड़ली, बाड़लौ रुचक, हाँस, हौदल आदि। 

बाजू के आभूषण –

भुजबंद –
‣ फूल- पत्तियों से बनी सांकल 

बाजुबंद –
‣ दोनों तरफ नोक वाली चूड़ी जिस पर रेशमी रंग- बिरंगे लटकन लटकाये जाते है 

टड्डा –
‣ ताँबे की छड़ी को सोने का रंग चढाकर बनाया गया आभूषण 

इसके अलावा चूड़ला , गजरा, हारपान, नवरतन , बटटा , अणत , कातरियौ, खांच , डंटकड़ौ , बहरखौ, बाहुसंगार, बिजायठ ।

कलाई के आभूषण – 

कातरया –
‣ काँच की चूड़ियाँ 

बिल्लोरी –
‣ सफेद रंग की चूड़ियाँ 

बल्लया –
‣ हाथी दांत या रबर की चूड़ियाँ 

चूड़ो –
‣ लाख या हाथी दांत की चूड़ियाँ 

गोखरु –
‣ तिकोने दानों वाला चूड़ा 

उतरणी –
‣ चाँदी का गोखरु 

ढोपला –
‣ चाँदी का गोखरु भीनमाल में 

मूँठया –
‣ कोहनी तक का चूड़ा 

चणप –
‣ हाथी दांत का चूड़ा जिस पर सोने -चाँदी का रंग चढ़ाया जाता है 

इसके अलावा हथफूल, गोखरु, बंगड़ी, गजरा, अड़कणी, आरसि, कंकण, कणगावलि, कंगन , खंजरी, गजरी, चूड़, छैलकड़ों, दुड़ी, धांणापुणछी , पछेली, पुणची, बंगड़ीदार , बंद , बाजूसोसण , माठी , लाखीणी, लूंब, सुतड़ौ, हाथुली, पुंचिया, मोखड़ी, बंगड़ी, पट । 

कमर के आभूषण – 

सटका –
‣ चाँदी का बना आभूषण जो घाघरे के नेफे में लटकाया जाता है 

तागड़ी –
‣ चाँदी का आभूषण जिसमें घूँघरु लगे होते है

कणकती –
‣ सोने- चाँदी का आभूषण जिसमें चेन लटकी रहती है 

इसके अलावा कड़तौड़ौ , मेखला, कमबंद , वसन, करधनी, तगड़ी, जंजीर ।

हाथ की अंगुली के आभूषण –

अंगुथलौ, पवित्री, बिंटी, अंगूँठी, छल्ला, मूंदड़ी , हथपान/ खडदावणों ( यह पांचों अंगुलियों में पहना जाता है ) , अरसी ( अंगूठे में पहनी जाती है ) 

पैर के आभूषण – 

आँवल –
‣ लहरदार कड़ा 

तोड़ा –
‣ रस्सी की तरह गूँथ कर बनाया गया आभूषण 

पायल –
‣ इसे शकुंतला या पायजेब भी कहते है 

टणका –
‣ इसमे टणक- टणक की आवाज आती है 

इसके अलावा अणोटपोल, आंवला, कंकणी, पायल , पायजेब , छड़ , घूघंरु, कड़ा , कड़लौ , जोड़ , नेवरी, झंकारतन , टणको, टोडर , टोडरों , तांति , तोड़ासाट , तोड़ौ , नुपूर , पादसंकलिका , पींजणी , मकियौ , मसूरियों , रोल , लछो , सिंजनी, हीरानामी । 

बच्चो के आभूषण –

नजरया, ताबीज, कूडक, काणकती, झांझरिया, कांडूल्या, पैजणी आदि।

नजरया – लाल कपड़े में कौड़ी, मूंग तथा सोने का दुकाड़ा बांध कर बच्चे के गले में पहनाया जाता है ताकि बच्चे को किसी की नजर ना लगे तथा फोड़े – फुंसी ना हो उसे नजरया कहा जाता है।

कूड़क – यह कान में पहना जाता है।

कणकती – कमर में काला डोरा पहनाया जाता है।

झांझरिया / पेजणी – यह बच्चे के पाव में पहनिया जाता है जिसमे घुघरू लगे होते है।

ताबीज – यह बच्चे के गले में पहनाया जाता है।

कांडूल्य – हाथ व पाव का कड़ा कांडूल्य कहलाता है।

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