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जालौर के चौहान
✦ जालौर के चौहान सोनगरा चौहान कहलाते हैं।
✦ जालौर दुर्ग को सुवर्णगिरी, सोनगिरी व कांचनगिरी नाम से जाना जाता है।
✦ जालौर को महर्षि जाबाली की कर्मभूमि होने के कारण प्राचीन समय में जाबालीपुर नाम से जाना जाता था इसकी जानकारी बिजोलिया शिलालेख (भीलवाड़ा) से मिलती है।
✦ वर्तमान में जाल वृक्ष की अधिकता के कारण उसका नाम जालौर पड़ा है।
✦ जालौर में चौहान वंश की स्थापना कीर्ति पाल चौहान के द्वारा 1181 ई. में की गई।
✦ कीर्ति पाल चौहान मूलतः नाडोल का था ।
✦ कीर्ति पाल चौहान को मुंहणोत नैणसी के द्वारा ” कीतू एक महान राजा” की उपाधि दी गई।
✦ कीर्ति पाल चौहान के द्वारा मेवाड़ के सामंत सिंह पर आक्रमण किया गया ।
कान्हडदे चौहान (1305 -1311ई)
✦ इनके पिता का नाम सामंत सिंह था ।
✦ इन्होंने 1299 ई. गुजरात से सोमनाथ मंदिर को लूटकर वापस लौट रही अलाउद्दीन खिलजी की सेना पर आक्रमण किया ।
✦ 1305 ई. में दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा अपने सेनापति एन.उल मुल्क मुल्तानी के नेतृत्व में जालौर पर आक्रमण किया गया ।
✦ इस आक्रमण के तहत कान्हड़ देव चौहान ने अपने पुत्र वीरमदेव को अलाउद्दीन खिलजी के दरबार में नियुक्त किया।
सिवाना दुर्ग
✦ सिवाना दुर्ग बाड़मेर में हल्देश्वर की पहाड़ी पर स्थित है।
✦ सिवाना दुर्ग का निर्माण वीर नारायण पवार के द्वारा करवाया गया ।
✦ सिवाना दुर्ग मारवाड़ के राजाओं की शरण स्थली भी कहा जाता है।
✦ सिवाना दुर्ग जालौर दुर्ग की कुंजी भी कहा जाता है।
✦ कान्हडदेव चौहान के द्वारा वीरमदेव-फिरोजा का वैवाहिक संबंध स्वीकार नहीं किया गया जिसके कारण 1308 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा अपने सेनापति कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में शिवाना पर आक्रमण किया गया।
✦ इस समय सिवाना पर कान्हड देव चौहान के भतीजे शीतल देव का अधिकार था।
✦ इस युद्ध में शीतल देव के सेनापति भावले पवार के विश्वासघात के कारण इनको पराजय का सामना करना पड़ा ।
✦ इस युद्ध में शीतल देव व उनके पुत्र सोम वीर गति को प्राप्त हुए ।
✦ इस युद्ध के बाद शिवाना का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया गया ।
✦ 1311 ई. में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति कमालुद्दीन गुर्ग के नेतृत्व में जालौर पर आक्रमण किया।
✦ इस आक्रमण में कान्हड़ देव चौहान के सेनापति दहिया बीका के विश्वासघात के कारण इनको पराजय का सामना करना पड़ा।
✦ इस आक्रमण में कान्हड देव चौहान वीर गति को प्राप्त हुए और इनके पुत्र वीरमदेव के द्वारा अपनी कुल देवी आशापुरा माता के सामने कटार घोम्पकर आत्महत्या कर ली गई
✦ इस युद्ध के बाद जालौर का नाम बदलकर जलालाबाद कर दिया गया ।
✦ अलाउद्दीन खिलजी ने यहां पर फिरोजा मस्जिद का निर्माण करवाया जिसे अलाउद्दीन खिलजी की मस्जिद भी कहा जाता है।
जानकारी के स्रोत :-
✦ पद्मनाभ की पुस्तक कान्हड दे प्रबंध अमीर खुसरो की पुस्तक खैजाइन-उल-फतूह
✦ फरिश्ता की पुस्तक तारीख ए फरिश्ता
अजमेर / साम्भर के चौहान
चौहानो की उत्पति के स्रोत :-
✦ चंद्रवरदाई, मुहणोत नैणसी व सूर्यमल मिश्रण के अनुसार चौहानों की उत्पति गुरु वशिष्ट के अग्निकुंड से हुई है।
✦ गुरु वशिष्ठ के अग्निकुंड से प्रति-हार, परमार, चालूक्य व चौहान इन चारों के प्रति हुई थी।
✦ कर्नल जेम्स टॉड, स्मिथ व कुक के अनुसार चौहान विदेशी है ।
✦ बिजोलिया शिलालेख के अनुसार चौहानों को वत्स ऋषि के वंशज माना जाता है।
✦ हमीर महाकाव्य, हमीर रासो व डॉक्टर गौरी शंकर हीरा चंद ओझा के अनुसार चौहान सूर्यवंशी है।
✦ प्राचीन काल में सांभर झील के आसपास के क्षेत्र को सपादलक्ष के नाम से जाना जाता था इसकी राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) हुआ करती थी ।
✦ बिजोलिया शिलालेख के अनुसार सांभर झील का निर्माता वासुदेव चौहान है। • वासुदेव चौहान ने 551 ई अजमेर/ सांभर में चौहान वंश की स्थापना की ।
✦ वासुदेव चौहान को चौहानों का आदि पुरुष माना जाता है ।
विग्रहराज द्वितीय
✦ विग्रहराज द्वितीय को प्रारंभ के चौहान में प्रतापी शासक माना जाता है ।
✦ विग्रहराज द्वितीय ने गुजरात के मूलराज को पराजित किया। इस बात की जानकारी हर्ष की पहाड़ी से प्राप्त हर्ष अभिलेख से प्राप्त होती है। हर्ष जीण माता का भाई था
अजय राज (1105 -1133 ई.)
✦ अजय राज ने 1113 ई. में अजमेर शहर की स्थापना की ।
✦ इन्होंने बीठली पहाड़ी पर अजमेर दुर्ग का निर्माण करवाया ।
✦ अजमेर दुर्ग को गढ़ बिठली, अजयमेरु दुर्ग, राजस्थान का जिब्राल्टर, तारागढ़ आदि नामों से जाना जाता है।
✦ अजमेर दुर्ग को रूठी रानी का महल भी कहा जाता है ।
✦ अजय राज ने अजयप्रियद्रंभ सिक्कों का प्रचलन प्रारंभ किया जिन पर पत्नी सोमल देवी का नाम लिखवाया गया । इन सिक्कों को श्री अजय राज सिक्के भी कहा जाता है।
अर्णोराज /आना जी (1133 ई-1155 ई.)
✦ आना जी ने आना सागर झील का निर्माण करवाया ।
✦ आना सागर झील के किनारे जहांगीर ने सुभाष उद्यान / दौलत बाग का निर्माण करवाया
✦ इस झील के किनारे शाहजहाँ ने बारहदरी छतरी का निर्माण करवाया ।
✦ आना जी ने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया ।
✦ गुजरात के कुमार पाल से पराजित हुए ।
✦ इनके पुत्र जगदेव के द्वारा इनकी हत्या कर दी गई।
✦ इसीलिए जगदेव को चौहानों का पितृहन्ता शासक कहा जाता है।
विग्रहराज चतुर्थ ( 1158 ई- 1163 ई)
✦ विग्रहराज चतुर्थ को बीसलदेव भी कहा जाता है।
✦ विग्रहराज चतुर्थ के काल को चौहानों का स्वर्णिम युग कहा जाता है क्योंकि इन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार दिल्ली तक कर लिया था ।
✦ विग्रहराज चतुर्थ को कवि बांधव / कटी बांधव की उपाधि प्राप्त थी । विग्रहराज चतुर्थ ने हरि-केली नाटक की रचना संस्कृत भाषा में की थी ।
✦ विग्रहराज ने अजमेर में सरस्वती कंठाभरण नमक संस्कृत पाठशाला का निर्माण करवाया । जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने ढाई दिन के झोपड़े में तब्दील कर दिया ।.
✦ यहां पर ढाई दिन का पंजाब शाह की स्मृति में मेला लगता है ।
✦ दरबारी कवि – नरपति नाल्ह – बीसलदेव रासो ( ग्रंथ)
सोमदेव –
✦ ललित विग्रहराज (ग्रंथ)
पृथ्वीराज चौहान तृतीय ( 1177 – 1192 ई.)
✦ इनका जन्म 1166 ई. मैं हुआ था ।
✦ इनके पिता का नाम सोमेश्वर और ‘इनकी माता का नाम कर्पूरी देवी था । • इनकी माता चौहान की संरक्षिका भी रही है ।
✦ उनकी पत्नी का नाम संयोगिता था जो कन्नौज के शासक जयचंद गहडवाल की पुत्री थी
✦ उनके पुत्र का नाम गोविंद राज चौहान था ।
✦ इन के प्रधानमंत्री का नाम कैमास / कैलाश था ।
✦ पृथ्वीराज चौहान को राय पिथौरा व दल पंगुल की उपाधि प्राप्त थी ।
✦ इनके दरबारी कवियो मे चंद्रवरदाई, जयानक, जनार्दन, विद्यावती गौड, आशाधर, वाघेश्वर आदि थे ।
✦ इन्होंने भडानक जाति के विद्रोह का दमन किया ।
✦ इन्होंने नागार्जुन के विद्रोह का दमन किया
✦ पृथ्वीराज चौहान ने 1182 ई. मैं महोबा के युद्ध में प्रमर्दिदेव चंदेल को पराजित किया ।
✦ इस युद्ध में चंदेल के दो सेनापति आल्हा और उदल वीर गति को प्राप्त हुए ।
✦ पृथ्वी राज चौहान ने 1187 में गुजरात पर विजय प्राप्त की ।
✦ पृथ्वी राज चौहान ने 1191 के तराइन के प्रथम युद्ध में मोहम्मद गोरी को पराजित किया
✦ इस युद्ध में पृथ्वी राज चौहान का सेनापति चामुंडराय तथा दिल्ली के गवर्नर गोविंद राज तोमर ने साथ दिया ।
✦ गोविंद राज तोमर ने ही तीर चला कर मोहम्मद गौरी को घायल किया था ।
✦ पृथ्वी राज चौहान को 1192 ई के तराइन के द्वितीय युद्ध में मोहम्मद गोरी के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा ।
✦ मोहम्मद गोरी ने इस युद्ध से पहले अपने सेनापति किवाम उल मुल्क को पृथ्वीराज चौहान से संधि की वार्ता करने हेतु भेजा था जबकि यह एक चाल थी ।
✦ इतिहासकारों के अनुसार तराइन के प्रथम युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान के द्वारा मोहम्मद गौरी की सेना का पीछा नहीं किया गया जिसके कारण ही द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को पराजय का सामना करना पड़ा ।
✦ तराइन के द्वितीय युद्ध के बाद पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद गौरी बंदी बनाकर अपने साथ ले गया था ।
✦ माना जाता है कि चंद्रवरदाई के अनुसार पृथ्वीराज चौहान ने अपने शब्दभेदी बाण से, मोहम्मद गौरी को घायल कर दिया था और चंद्रवरदाई व पृथ्वीराज चौहान ने एक दूसरे को कटार घोंपकर हत्या कर लीं थी ।
✦ पृथ्वीराज रासो में लिखा गया है “चार बाँस चौबीस गज अष्ट अंगुल प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चुके चौहान “
✦ कुछ इतिहासकारों के अनुसार पृथ्वीराज चौहान का देहांत अजमेर में हुआ था । • चंद्रवरदाई जिनका ग्रंथ पृथ्वीराज रासो तथा मिनहाजु सिराज की पुस्तक तबाकात ए नासिरी से हमें पृथ्वीराज चौहान तृतीय के बारे में जानकारी प्राप्त होती है ।
✦ रणथंभोरमें चौहान वंश की स्थापना गोविंद राज चौहान के द्वारा 1194 ई. में की गई।
✦ गोविंद राज चौहान के पिता का नाम पृथ्वीराज चौहान तृतीय था ।
✦ गोविंद राज चौहान पर पृथ्वी राज तृतीय के भाई हरराज के द्वारा आक्रमण किया गया जिसके बाद अजमेर से रणथंबोर आए थे ।
हमीर देव चौहान ( 1282 ई – 1301 ई )
✦ हमीर देव चौहान को इतिहास में हठीहमीर के नाम से जाना जाता है ।
✦ इनके पिता का नाम जेत्र सिंह था जिन्होंने यहां 32 वर्ष तक शासन किया था ।
✦ हमीर देव चौहान ने अपने पिता की स्मृति में रणथंबोर में 32 खंभों की छतरी का निर्माणकरवाया । गया ।
✦ हम्मीर देव चौहान के द्वारा कोटिय यज्ञ का आयोजन किया • रणथंबोर दुर्ग को बख्तरबंद दुर्ग भी कहा जाता है।
✦ 1291ई. में जलालुद्दीन खिलजी के द्वारा झाइन दुर्ग पर अधिकार करने के बाद रणथंबोर दुर्ग पर आक्रमण किया गया ।
✦ इस युद्ध में जलालुद्दीन खिलजी को पराजय का सामना करना पड़ा ।
✦ इस युद्ध के बाद जलालुद्दीन खिलजी ने कहा कि रणथंबोर जैसे 10 दुगो को भी मैं अपने एक सैनिक के बाल के बराबर नहीं समझता ।
✦ हमीर देव चौहान के द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के मंगोल के दोस्त / विद्रोही महमूद शाह को शरण दी गई ।
✦ अलाउद्दीन खिलजी की बेगम चिमना बेगम व महमूद शाह के मध्य प्रेम प्रसंग के कारण इसे विद्रोही कहा गया ।
✦ 1299 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा अपने सेनापति उलुग खा व नुसरत खा के नेतृत्व में रणथंबोर पर आक्रमण किया गया ।
✦ इस आक्रमण में हमीर देव चौहान के सेनापति धर्म सिंह व भीम सिंह के द्वारा नुसरत खान की हत्या कर दी जाती है । और अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा भीम सिंह की हत्या करवा दी जाती है।
✦ इस युद्ध में हमीर देव चौहान की विजय होती है और अलाउद्दीन खिलजी को पराजय का सामना करना पड़ता है।
✦ यह युद्ध हिंदूवाट घाटी का युद्ध कहलाता है ।
✦ इस युद्ध के बाद हमीर देव चौहान के द्वारा अपने सेनापति धर्म सिंह के स्थान पर उसके भतीजे भोज को सेनापति बनाया जाता है। और धर्म सिंह अलाउद्दीन खिलजी की शरण में चला जाता है ।
✦ 1301 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा पुनः रणथंबोर पर आक्रमण किया जाता है।
✦ इस आक्रमण में हमीर देव चौहान के सेनापति रणमल व रतिपाल को अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लालच दिया जाता है।
✦ इस युद्ध में हमीर देव चौहान की पत्नी रंग देवी के नेतृत्व में जोहर किया जाता है तथा हमीर देव चौहान के नेतृत्व में केसरिया किया जाता है।
✦ यह राजस्थान का प्रथम शाका कहलाता है।
✦ इस युद्ध में हमीर देव चौहान की बेटी देवल के द्वारा पदम तालाब में कूद कर आत्महत्या कर ली जाती है यह राजस्थान का एकमात्र जल जोहर कहलाता है।
जानकारी के स्रोत :-
✦ नयनचंद्र सूरी की पुस्तक हम्मीर महाकाव्य चन्द्रशेखर की पुस्तक हम्मीर ह�
✦ जोधराज व सारंगधर की पुस्तक हम्मीर रासो कोटा के हाडा चौहानों का इतिहास कोटा राज्य की स्थापना 1631 में माधो सिंह के द्वारा की गई।
✦ माधो सिंह के पिता का नाम राव रतन सिंह था जो बूँदी के शासक थे।
मुकुंद सिंह
✦ मुकुंद सिंह के द्वारा कोटा में मीणा महिला के नाम पर अबली मीणी का महल बनवाया गया।
✦ मुकुंद सिंह धर्मत के युद्ध में लड़ता हुआ वीर गति को प्राप्त हुआ।
भीम सिंह
✦ भीम सिंह के द्वारा खींची चौहानों से गागरोन छीन लिया गया।
✦ भीम सिंह के द्वारा कोटा का नाम बदलकर नंद ग्राम कर दिया गया क्योंकि भीम सिंह भगवान श्री कृष्ण के भक्त थे।
✦ भीम सिंह के द्वारा बारा में सांवरिया जी के मंदिर का निर्माण करवाया गया।
✦ भीम सिंह ने फर्रुखसियर के साथ मिलकर बूँदी पर अधिकार कर लिया तथा इसका नाम बदलकर फर्रुखाबाद कर दिया।
उमेद सिंह
✦ उमेद सिंह के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सशर्त संधि की गई।
✦ इस संधि में उमेद सिंह के द्वारा शर्त रखी गई की उमेद सिंह स्वयं व उनके वंशज ही कोटा के शासक बने रहेंगे।
✦ इस संधि की दूसरी शर्त यह रखी गई कि जालिम सिंह झाला तथा उनके वंशज संपूर्ण अधिकार के साथ दीवान बने रहेंगे। इसको पूरक संधि भी कहा जाता है।
बूँदी के हाड़ा चौहानों का इतिहास
✦ महाराणा कुंभा के द्वारा रचित रणकपुर अभिलेख में बूँदी का नाम वृंदावती मिलता है।
✦ चौहानों से पूर्व बूँदी पर मीणा शासकों का अधिकार था और इसीलिए बूंदा मीणा के नाम पर इसका नाम बूँदी पड़ा है।
✦ 1241 में देवा हाड़ा के द्वारा जैता मीणा को हराकर बूँदी पर अधिकार कर लिया गया।
✦ 1274 में जैत्र सिंह के द्वारा कोटा पर अधिकार कर लिया गया।
✦ बूँदी के तारागढ़ किले का निर्माण बर सिंह के द्वारा 1354 में करवाया गया। बूँदी का तारागढ़ किला भित्ति चित्रों के लिए विख्यात है।
राव सुरजन सिंह हाडा
✦ राव सुर्जन सिंह हाडा के द्वारा 1569 में अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली गई।
✦ राव सुर्जन सिंह हाडा के द्वारा द्वारिका में रणछोड़ जी के मंदिर का निर्माण करवाया गया।
✦ चंद्रशेखर के द्वारा सुर्जन चरित्र नामक ग्रंथ की रचना की गई।
बुध सिंह
✦ बुध सिंह के द्वारा जयपुर के सवाई जय सिंह की बहन अमर कंवर के साथ शादी की गई।
✦ बुध सिंह के शासनकाल में मराठा का हस्तक्षेप होता था।
✦ बुध सिंह के पुत्र दलेल सिंह व उम्मेद सिंह के मध्य उत्तराधिकारी संघर्ष हुआ जिसमें सवाई जयसिंह ने दलेल सिंह का साथ दिया जबकि मराठों के द्वारा उम्मेद सिंह का साथ दिया गया।
`✦ अमर कंवर ने मराठा सरदार मल्हार राव होल्कर को उमेद सिंह के साथ मिला लिया।
✦ बुध सिंह के द्वारा नेहतरंग नामक पुस्तक की रचना की गई।
✦ 1818 में विष्णु सिंह के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ संधि कर ली गई।