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आज राजस्थान के स्तम्भ और मीनार के बारे में चर्चा करेंगे। इसमें हम राजस्थानी की मस्जिद, मकबरे और मीनारों के बारे में भी जानेंगे। राजस्थान के स्तम्भ और मीनार राजस्थान gk का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है।
1. कीर्ति स्तम्भ
2. विजय स्तम्भ
3. निहाल टावर
4. ईसर लाट
5. महाराणा प्रताप विजय स्मारक
6. जुबली क्लॉक टॉवर
7. जंतर – मंतर
8. गडरा का शाहिव स्मारक
9. अमर जवान ज्योति स्मारक
10. धर्म स्तूप
11. वेली टॉवर घण्टाघर
12. घण्टाघर
कीर्ति स्तम्भ –
‣ यह चित्तौड़गढ़ में स्थित है।
‣ इसको जैन स्तम्भ या मेरु कनक प्रभः भी कहा जाता है।
‣ यह भगवान आदिनाथ/ऋषभदेव को समर्पित है।
‣ कीर्ति स्तम्भ का निर्माण 12वीं सदी में बघेरवाल महाजन सानाय का पुत्र जैन व्यापारी जीजा शाह ने करवाया।
‣ कीर्ति स्तम्भ में जैन दिगंबर संप्रदाय की जातक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
‣ इसमें आदित्यनाथ की मूर्ति बनी हुई है।
‣ इसकी ऊंचाई 75 फीट है तथा यह 7 मंजिला इमारत है।
विजय स्तम्भ –
‣ यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है।
‣ विजय स्तम्भ की आकृति डमरू के समान है।
‣ विजय स्तम्भ का 9 मंजिला होना नवनिधि का प्रतीक है।
‣ निर्माण – इसका निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया 1440-48 में करवाया था।
‣ यह 122 फिट ऊंची 9 मंजिला इमारत है।
‣ विजय स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा ने सारंगपुर ( मालवा) युद्ध के विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।
‣ इसमें 157 सीढियां है तथा इसके आधार की चौड़ाई 30 फूट है।
‣ विजय स्तम्भ की आठवी मंजिल पर कोई मूर्ति स्थित नहीं है ।
‣ इस इमारत का शिल्पी जैता था। जिसके सहयोग नाथा पामा पूंजा ने किया था।
‣ इसकी प्रथम मंजिल पर विष्णु/कुम्भस्वामी मन्दिर स्थित है, जिसके कारण उपेन्द्र नाथ डे ने इसको विष्णु ध्वज कहा है।
‣ विजय स्तम्भ भगवान विष्णु को समर्पित है।
‣ विजय स्तम्भ की तीसरी मंजिल पर 9 बार अरबी भाषा में अल्लाह शब्द लिखा गया है।
‣ इसके चारों तरफ मूर्तियां होने कारण इसे मूर्तियों का अजायबघर कहा जाता है।
‣ विजय स्तम्भ के निर्माण में 90 लाख का खर्चा हुआ था।
‣ इसकी 9वीं मंजिल पर अत्री – महेश ने मेवाड़ी भाषा में कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति की रचन की थी। जिसमें कुम्भा की विजय का वर्णन है।
‣ यह राजस्थान की प्रथम इमारत है जिस पर 15 अगस्त 1949 को एक रूपये की डाक टिकट जारी किया गया था।
‣ यह राजस्थान पुलिस तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीक चिह्न है।
‣ विजय स्तम्भ की 9वीं पर बिजली गिरने नष्ट पर 1911 ई. स्वरूप सिंह ने इसकी मस्मत करवाई थी।
‣ विजय स्तम्भ की 8वीं मंजिल पर कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति है तथा यह संस्कृत के लिखा हुआ है।
विजय स्तम्भ के उपनाम –
‣ विष्णु के 24 अवतारों के सजीव मूर्तियां उत्कीर्ण होने के कारण डॉ. गार्टज ने हिंदू मूर्ति कला का अनमोल खजाना कहा है।
‣ भारतीय मूर्तिय कला का विश्वकोष डॉ. गार्टज के द्वारा कहा गया है।
‣ डॉ. गार्टज ने इसे हिंदू मूर्ति कला का अजायबघर कहा है।
‣ इसको विक्ट्री टावर भी कहा जाता है।
‣ फग्र्युसन ने इसकी तुलान रोम के टार्जन से की है।
‣ कर्नल जेम्स टॉड ने इसे कुतुबमीनार से भी श्रेष्ठ बताया है।
‣ आर. पी. व्यास ने इसे हिंदू प्रतिमा शास्त्र की अनुपम निधि कहा है।
‣ डॉ. सीमा राठौड़ ने संगीत की भव्य चित्रशाला कहा है।
‣ गोपीनाथ शर्मा ने लोकजीवन का रंगमंच कहा है।
‣ उपेंद्रनाथ डे ने विष्णु ध्वज
‣ गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने पौराणिक देवताओं का अमूल्य कोष बताया है।
निहाल टावर/शाही घण्टाघर –
‣ यह धौलपुर में स्थित है।
‣ निहाल टावर सात धातुओं से बना हुआ है तथा यह भारत का सबसे बड़ा घंटाघर है।
‣ यह टावर इंडो मुस्लिम शैली का उत्कृष्ट नमूना है।
‣ इस पर छठी मंजिल की चारों दिशाओं में घड़ी लगी हुई है।
‣ सन 1880 में तत्कालीन धौलपुर के नरेश महाराजा निहाल सिंह ने इस इमारत की नींव रखी थी। तथा जिसको 1910 में तत्कालीन महाराज रायसिंह ने पूरा करवाया था।
‣ इसकी ऊंचाई 150 फीट है।
ईसर लाट –
‣ यह जयपुर में स्थित है।
‣ यह इमारत 1748 ई. में मराठों के साथ राजमहल युद्ध के बाद बनाया गया था।
‣ इस इमारत का निर्माण सवाई ईश्वरी सिंह ने 1749 ई. में करवाया था।
‣ इसको सरगासुली भी कहा जाता है।
महाराणा प्रताप विजय स्मारक –
‣ यह दिवेर, राजसमंद में स्थित है।
‣ इस स्मारक का उद्घटन 2012 में हुआ था।
‣ 1582 में महाराणा प्रताप ने दिवेर चौकी को जीता था जहां पर आज स्मारक बना हुआ है।
जुबली क्लॉक टावर –
‣ यह अजमेर में स्थित है।
‣ इस टावर का निर्माण 1887 में महारानी विक्टोरिया की स्वर्ण जयंती की स्मृति में अजमेर के रेलवे स्टेशन के सामने करवाया गया गया था।
जंतर – मंतर –
‣ 2010 में जयपुर जंतर – मंतर को यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया था।
‣ सवाई जयसिंह ने ज्योतिष अध्ययन व नक्षत्रों की जानकारी प्राप्त करने के लिए भारत में जयपुर, मथुरा, दिल्ली, बनारस, उज्जैन में पांच वैद्यशालाओं का निर्माण करवाया था।
‣ इसमें से सबसे प्राचीन वैद्यशाला दिल्ली में स्थित है, जिसका निर्माण 1724 ई. में करवाया गया था।
‣ दूसरी वैद्यशाला जयपुर में स्थित है, जिसका निर्माण 1728 ई. में करवाया गया था। तथा यह वैद्यशाल पांच वैद्यशालाओं में सबसे बड़ी वैद्यशाल है।
‣ इस वैद्यशाला में अक्षांशीय परीक्षण हेतु जयप्रकाश यंत्र, वायु परीक्षण के लिए रामयंत्र व समय गणना हेतु एशिया की ‣ ‣ सबसे बड़ी सौर घड़ी जिसे सम्राट यंत्र कहते है आदि यंत्र स्थित है।
‣ यह दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की घड़ी जयपुर में स्थित है।
गडरा का शाहिद स्मारक –
‣ यह बाड़मेर में स्थित है।
‣ यह 1965 में भारत – पाक युद्ध में शाहिद हुए रेल कर्मचारियों की स्मृति में बनवाया गया था।
अमर जवान ज्योति स्मारक –
‣ यह जयपुर के एस.एम.एस स्टेडियम में स्थित है।
धर्म स्तूप –
‣ यह चुरू में स्थित है।
‣ इस घण्टाघर का निर्माण लाल पत्थरों से करवाया गया है जिसके कारण से इसको लाल घण्टाघर भी कहा जाता है।
‣ इसमें भगवान कृष्ण शंकराचार्य, गुरुनानक, महावीर स्वामी, जगदम्बा, गौतम बुद्ध की मूर्तियां लगी होने के कारण इसे सर्वधर्म सद्भाव का स्तूप भी कहा जाता है।
‣ 1930 में यहा पर सर्वप्रथम तिरंगा फहराया गया था।
‣ इसकी स्थापना 1925 में स्वामी गोपालदास के द्वारा की गई थी।
वेली टावर घण्टाघर –
‣ यह कोटा में स्थित है।
‣ इस घण्टाघर को पॉलिटिकल एजेंट वेली की देख रेख में 1889 – 1940 ई. के मध्य महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय ने करवाया था।
घण्टाघर –
‣ यह बीकानेर में स्थित है।
‣ यह घण्टाघर चौराहे पर बनया गया है जिसमें चारों ओर घड़ियां लगी हुई है।