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राजस्थान के सूफी आन्दोलन | Rajasthan ke Sufi Andolan Notes | Trick | PDF

आज राजस्थान के सूफी आन्दोलन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी लेके आए है। सूफी एवं भक्ति आन्दोलन के बारे में भी जानेंगे तथा राजस्थान के प्रथम सूफी संत कौन हैं उसको भी जानेंगे। राजस्थान के सूफी आन्दोलन राजस्थान जीके का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है। 

सूफियों की शब्दावली –
‣ पीर/ मुर्शीद – गुरु
‣ वली – उत्तराधिकारी
‣ मुरीद – शिष्य
‣ विलायत – सूफी संतो की संस्था
‣ मलफुजात – पत्र
‣ फना – ईश्वर में डूबना
‣ शरियत – इस्लामी नियम
‣ मालफुजात – सूफी साहित्य
‣ रबिया – प्रथम महिला संत
‣ खानकाह – सूफियों का निवास स्थल

सूफी शब्द का अर्थ –
‣ कुछ विद्वानों के अनुसार सफ शब्द का अर्थ ऊन मानते है। अतः ऊनी कपड़े पहनने वाले संतो को सूफी कहा जाने लगे।
कुछ विद्वानों ने सफ का अर्थ चबूतरा मानते थे उनका मानना था की सूफी संत मदीना में चबूतरे पर बैठकर धर्म चर्चा किया करते थे।

‣ सूफीवाद का उद्भव ईरान में हुआ।सूफीवादी इस्लाम के भीतर सुधारवादी आंदोलन था।प्रारंभिक सूफियों में राबिया प्रसिद्ध है।राबिया एवं मंसूर बिन हल्लाज ने क्रमशः 8वी व 10वी शताब्दी में ईश्वर एवं व्यक्ति के बीच प्रेम संबंध पर बल दिया है।

सूफी आंदोलन –
‣ सूफी आन्दोलन का उदय 8वीं सदी में ईरान में प्रारम्भ हुआ।
‣ भारत में सूफी आन्दोलन का प्रारम्भ 12वी सदी में हुआ।
‣ सूफी मत के 12 सिलसिले थे।
‣ इब्न – उल – अरबी प्रथम सूफी संत थे जिसने वहादत – उल – वजूद का सिद्धांत दिया, जो एकत्व का सिद्धांत है।
‣ आईन -ए – अरबी में 14 सिलसिले माने जाते है।
‣ सूफियों का उद्भव ईरान में हुआ।
‣ भारत में सूफियों का आगमन गजनवी के समय में प्रारम्भ हुआ ।
‣ भारत में आने वाले पहले संत शेख इस्माइल थे। ये लाहौर में आए थे।
‣ अबुल फजल के अनुसार 14 सूफी सिलसिले थे।

सूफियों के दो वर्गो में बाते हुवे थे –
1. बा – शरा – यह इस्लामी नियम / कानून में विश्वास करते थे
2. बे – शरा – ये इस्लामी नियम / कानून में विश्वास नहीं करते थे।

भारत में प्रमुख सूफी सम्प्रदाय –
चिश्ती सम्प्रदाय-
‣ चिश्ती सम्प्रदाय भारत का सबसे प्राचीन सिलसिला है। यह बा – शर सिलसिला की एक शाखा है। यह भारत सम्प्रदाय का सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
‣ संस्थापक – ख्वाजा अब्दुल चिश्ती ने इसकी स्थापना ईरान में की थी।
‣ भारत में – ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ने की।
‣ ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती गतिविधियों का मुख्य केंद्र अजमेर था। इनको गरी-ए-नवाज भी कहा जाता है।
‣ इनकी दरगाह अजमेर में स्थित है।
‣ हजरत शेख उस्मान हारूनी के शिष्य ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती थे।
‣ इनके दो शिष्य थे –
1. शेख हमीमुद्दीन नागौरी –
‣ इन्होंने नागौर को अपना केन्द्र बनाया तथा यह कृषि कार्य से आजीविका चलाने वाले एकमात्र सूफी संत थे।
‣ मोइनुद्दीन चिश्ती ने इनको सुल्तान उल तारकीन की उपाधि दी थी।
‣ इसका सम्बन्ध सुरह वर्दी सिलसिले से है।

2. कुतुबद्दीन बख्तायार काकी –
‣ इन्होंने दिल्ली को अपना केन्द्र बनाया तथा कुतुब मीनार का नामकरण इन्ही के नाम पर किया गया।
‣ इनको बाबा फरीद के नाम भी जाना जाता है यह काकी के शिष्य थे। इन्होंने ने पंजाब को अपना केन्द्र बनाया तथा ‣ ‣ ‣ इनको पंजाबी भाषा का प्रथम कवि माना जाता है।

चिश्ती सम्प्रदाय की लोक प्रियता के निम्नलिखित कारण थे –
‣ सूफी संतो ने अपने जनसाधारण से जोड़ा। ये गरीबों व असहाय के सहायक थे ।
‣ इन्होंने खुद को सांसारिक प्रलोभनों से दूर रखा।
‣ दिल्ली के सुल्तानो के द्वारा प्रदान किए जाने वाले पद को ठुकरा दिया।
‣ सूफी संतो ने धार्मिक आधारों पर कोई भेद भाव नही किया। उन्होंने भाई चार की भावना पर जोर दिया।

सुहारवर्दी सम्प्रदाय –
‣ इस सिलसिले की स्थापना सुहाबुदीन सुहारावर्दी ने बगदाद में की थी।
‣ सुहारवर्दी सम्प्रदाय का मूल प्रवर्तक जियाउदिन अबुलजीव थे।
‣ भारत में यह सिलसिला बहाउदीन जकारिया द्वारा लाया गया था।
‣ इल्तुतमिश के द्वारा इनको उल-इस्लाम की उपाधि दी गई।
‣ सल्तनतकाल में सहरावर्दी सबसे प्रधान व प्रमुख सूफी सिलसिला था।
‣ सुहारावर्दी सम्प्रदाय के संत शेख मूसा स्त्री वेश रखत थे इनकी संगीत व नृत्य में रुचि थी।
‣ सैयद जलालिद्दीन तबरीजी, अबुल फजल व सैयद जलालुद्दीन बुखारी का प्रमुख संत थे।

सुहारवर्दी सम्प्रदाय की विशेषता –
‣ धन को भक्ति में बाधा नही मानते थे।
‣ राजनीति में रुचि थी।
‣ मन साफ होना चाहिए।

कादरी संप्रदाय –
‣ यह सम्प्रदाय इस्लाम में प्रथम रहस्यवादी पंथ था।
‣ इसकी स्थापना बगदाद में सैयद अब्दुल कादिर जिलानी ने की थी। जिन्हे 99 उपाधियां प्राप्त थी।
‣ 15वीं सदी में भारत में सैयद नसीरुद्दीन मोहम्मद जलानी सिंध प्रदेश में की।
‣ इस सम्प्रदाय के प्रमुख संत शेख मोहम्मद मियां मीर हुए। इनके द्वारा अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी।
‣ भारत में शाह नियामत महमूद जिलानी ने इस सिलसिले का प्रचार किया था।

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