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राजस्थान की प्रमुख हवेलियां | Rajasthan ki Pramukh Haveliya Notes | Trick | PDF

आज राजस्थान की प्रमुख हवेलियों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाने हुए राजस्थान की हवेलियों के बारे में पूछे जाने वाले सभी प्रश्न को भी देखेंगे। राजस्थान की हवेलियां राजस्थान जीके का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है। 

राजस्थान की हवेलियां –

1. जोधपुर की हवेलियां
2. जैसलमेर की हवेलियां
3. शेखावाटी की हवेलियां
4. बीकानेर की हवेलियां
5. जयपुर की हवेलियां
6. कोटा की हवेलियां
7. चुरू की हवेलियां
8. चित्तौड़गढ़ा की हवेलियां
9. उदयपुर की हवेलियां

जोधापुर की हवेली –
‣ जोधपुर की हवेलियां में स्थापत्य कला की बारीकियों का प्रयोग हुआ है।

पुष्प हवेली –
इस निर्माण महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के शिल्पी रघुनाथमल जोशी / भुरजी जोशी ने करवाया।
यह विश्व की एकमात्र हवेली है जिसका निर्माण एक ही नक्षत्र पुष्य नक्षत्र में किया गया।

पास हवेली – जोधपुर

बड़े मियां की हवेली – जोधपुर

राखी हवेली – जोधपुर

लाल चन्द ढड्डा की हवेली – जोधपुर

पोकरण की हवेली – जोधपुर

पच्चीसा हवेली – जोधपुर

जैसलमेर की हवेली –
‣ यहां की हवेलियां में पीले पत्थरों पर कमल, वृक्ष, गुलाब, कलश, ज्यामितिक, घुंघरू, आकारों गोलाकर चौरस, अष्टकोण, पंचकोष, षटकोण तथा त्रिकोण की खुदाई काम हुआ है ।
‣ जैसलमेर की हवेलियां पत्थर की जाली व कटाई के कारण प्रसिद्ध है।
‣ राजस्थान की हवेलियों का निर्माण सेठ साहूकारों ने 17वीं – 18वीं शताब्दी में करवाया।
‣ जैसलमेर को हवेलियां का नगर कहते हैं।

पटुओं के हवेली –
‣ यह हवेली पांच मंजिला है।
‣ इसकी पहली मंजिल की आकृति जहाज के जैसी है तथा दूसरी मंजिल आयताकार है और इसकी पांचवी मंजिल पर स्वंत्रत रथ आकार के जाली झरोखे है।
‣ 18 वीं शताब्दी के उतरार्द्ध में जैसलमेर के एक व्यवसायी गुमानाचंद पटुआ के 5 पुत्रो ने इस हवेली का निर्माण करवाया था । छियासठ झरोखों से युक्त ये हवेलियाँ निसंदेह कला का सर्वेतम उदाहरण है। ये कुल मिलाकर पाँच हैं, जो कि एक-दूसरे से सटी हुई हैं। पाँचों हवेलियों के अग्रभाग बारीक नक्काशी व विविध प्रकार की कलाकृतियाँ युक्त खिङ्कियों, छज्जों व रेलिंग से अलंकृत है। जिसके कारण ये हवेलियाँ अत्यंत भव्य व कलात्मक दृष्टि से अत्यंत सुंदर व सुरम्य लगती है।

नथमलजी की हवेली –
‣ जैसलमेर की इस हवेली का निर्माण जैसलमेर में स्थित दीवान नथमल की हवेली दो सगे भाईयो हाथी तथा लालू के द्वारा करवाया गया था।
‣ इसका निर्माण 1881-85 के बीच करवाया गया था।
‣ यह हवेली पाँच मंजिली पीले पत्थर से निर्मित है।
‣ इसमें पीले पत्थरों से निर्मित दो हाथी हवेली दरवाजे पर खड़े है, जो द्वरपालो का आभास करवाते है।
‣ हवेली में सुक्ष्म खुदाई मेहराबों से युक्त खिङ्कियों, घुमावदार खिङ्कियाँ तथा हवेली के अग्रभाग में की गई पत्थर की नक्काशी पत्थर के काम की दृष्टि से अनुपम है।

सालिमसिंह की हवेली –
‣ जैसलमेर राज्य के प्रधानमंत्री सालिमसिंह मेहता ने 1815 में इस हवेली का निर्माण करवाया था।
‣ इस हवेली में सात खण्ड पत्थर के और ऊपर दो खण्ड लकड़ी के बने है।
‣ वर्तमान में इसके ऊपर से दो लकड़ी के बने खण्ड उतार दिए गए है।
‣ लकड़ी के ऊपर बनाए गए इस खण्ड को शीशमहल व रंगमहल कहते है।
‣ इस हवेली को “मोती” महल भी कहते है।
‣ यह हवेली जैसलमेर की सबसे ऊंची इमारत है।
‣ छठा खण्ड जहाज महल व सातवां खण्ड मोती महल कहलाता है।

शेखावाटी की हवेलियां –

बिसाऊ- ( झुंझुनू)
‣ यह हवेली सोने व चांदी की हवेली के रूप में प्रसिद्ध है।
‣ यहां पर सेठ हीरालाल-बनरसीलाल की हवेली, सीताराम सिगतिया की हवेली, नाथूराम पोद्दार की हवेली , जयदयाल केडिया की हवेली प्रमुख हवेलियां है।

मण्डावा –
‣ यहां की प्रमुख हवेलियां –
‣ सागरमल लाडिया, रामदेव चौखाणी, रामनाथ गोयनका की हवेली, मोहनलाल नेवटिया, हरिप्रसाद ढढांरियां की हवेली, बुधमल की हवेली, मोहलाल की हवेली, विश्वनाथ गोयनका की हवेली व सर्राफों की हवेली प्रमुख हवेलियां है।

नवलगढ़ की हवेली –
‣ यह हवेली सूने की चत्रिकारी के लिए प्रसिद्ध है।
‣ इसको शेखावाटी की स्वर्ण नगरी भी कहा जाता है।
‣ पौद्दार और भगेरिया रूप निवास, भगत, आदि हवेलियां यहा की प्रसिद्धि हवेलियां है।
‣ भगतो की हवेली यहां की सबसे विशाल हवेली है।

डूंडलोद –
‣ सेठ लाल चंद गोयनका की हवेली है।

चुरू की हवेलियाँ
गोयनका की हवेली-
सुराणा की हवेली –
‣ इसमें 1100 दरवाजे एवं खिड़कियाँ है।
‣ दानचंद चौपड़ा की हवेली – सुजानगढ़ में ( चुरू ) में दानचंद चौपड़ा की हवेली स्थित है।

चुरू की प्रमुख हवेली –
‣ मालजी का कमरा, रामविलास, झुरणो की हवामहल ,कन्हैयालाल बागला की हवेली यहां की प्रसिद्ध हवेलियां है ।

चिड़ावा –
‣ बागडिया व डालमिया की हवेली, डालमिया व वेद की हवेलियां यहां की प्रमुख हवेलियां है।

महनसर – सोने-चांदी की हवेली

श्री माधौपुर ( सीकर ) –
‣ यहां पर पंसारी की हवेली प्रसिद्ध है।

मुकुंदगढ़ा (झुंझुनूं ) –
‣ यहां पर सेठ राधाकृष्ण की हवेली, केसर देव की हवेलियां प्रमुख है।
‣ लक्ष्मणगढ़ ( सीकर ) केड़िया व राठी की हवेली प्रमुख है।

फतेहपुर की हवेली ( सीकर ) –
‣ नेमीचंद्रचौधरी की हवेली, नंदलाल देवड़ा की हवेली, सिघनिया की हवेली, गोयनका की हवेली, सहजाराम पोद्दार की हवेली यहां की प्रमुख हवेलियां है।

रामगढ़ ( सीकर ) –
‣ रामगोपाल पोद्दार की हवेली, ताराचंद रुइया की हवेली, घनश्याम पोद्दार की हवेली, रामनायरण खेमका की हवेली प्रमुख हवेलियां है।

बीकानेर की हवेलियाँ –

‣ बीकानेर में स्थित रामपुरिया की हवेली में हिंदू मुस्लिम यूरोपीय कला का मिश्रण है।
‣ बीकानेर की प्रसिद्ध ‘बच्छावतों की हवेली’ का निर्माण सोलहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में कर्णसिंह बच्छावत ने करवाया था।
‣ इसके अतिरिक्त बीकानेर में रामपुरिया हवेली, कोठारी हवेली, मोहता हवेलीड़ा आदि की हवेलियाँ अपने शिल्प वैभव के कारण विख्यात है।
‣ बीकानेर की हवेलियाँ लाल पत्थर से निर्मित है। इन हवेलियों में ज्यॉमितीय शैली की नक्काशी है एवं आधार को तराश कर बेल-बूटे, फूल-पत्तियाँ आदि उकेरे गये हैं।
‣ इनकी सजावट में मुगल, किशनगढ़ एवं यूरोपीय चित्रशैली का प्रयोग किया गया है।
बीकानेर की प्रमुख हवेलियां –
कोठरी की हवेली – बीकानेर
रामपुरिया की हवेली – बीकानेर
मोहता की हवेली – बीकानेर
डागा की हवेली – बीकानेर
बच्छावतों की हवेली – बीकानेर

कोटा की हवेलियाँ

झालाजी की हवेली – जालिम सिंह द्वारा
देवताजी की हवेली – देवता श्रीधरजी की हवेली

झालावाड़ की हवेली –
‣ सात खां की हवेली, कालू बाबू की हवेली, दीवानसाहब की हवेली, पुरोहितजी की हवेली, गुलजार हवेली आदि प्रमुख हवेलियां है।

चित्तौड़गढ़ की हवेलियां –
‣ भामाशाह की हवेली, जयमल फट्टा की हवेली, रामपुरा ठिकाना हवेली, सलूंबर ठिकाना हवेली।

जयपुर की हवेलियां –
चुरसिंह की हवेली – जयपुर
पुरोहीतजी की हवेली – जयपुर
रत्नाकर भट्ट पुण्डरिका की हवेली – जयपुर
ख्वासजी की हवेली – जयपुर
नानाजी की हवेली – जयपुर

उदयपुर की हवेली –
बागौर की हवेली – उदयपुर
‣ इसका निर्माण अमर चंद बड़वा ने करवाया था। वहां पर विश्व की सबसे बड़ी पगड़ी रखी हुई है।

मोहन सिंह की हवेली – उदयपुर
बाफना की हवेली- उदयपुर
पिपलिया की हवेली – जयपुर

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