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भारत की प्रथम वन नीति 1952 में घोषित हुई। जिसके तहत् कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 33% भाग पर, मैदानी भागो मे 20% तथा पर्वतीय भागो मे 60 से 65 % भाग पर वन होने चाहिए।
राजस्थान में प्रथम वन तथा पर्यावरण नीति फरवरी 2010 मे घोषित की। यह नीति देश का प्रथम राज्य है। घोषित करने वाला राजस्थान
वन रिपोर्ट 2021 :-
- प्रथम वन रिपोर्ट 1987 में जारी की गई।
- 17 वीं वन रिपोर्ट 13 जनवरी २०३२ को जारी की गई।
- वन रिपोर्ट प्रत्येक 2 वर्ष बाद जारी की जाती है।
नवीनतम वन रिपोर्ट के आँकड़े राजस्थान के सन्दर्भ मे :-
- राजस्थान में वन क्षेत्र – 32864 KM²
- वनावरण – 16655 км² (4.87%)
- वृक्षावरण – 8733 KM² (2.56%)
- कुल वनावरण तथा वृक्षावरण 25388 KM² (7.43%)
राज्य में सर्वाधिक वन –
- उदयपुर- 2753 км² –
- अलवर – 1196 KM²
- प्रतापगढ़ – 1034 км²
- बाँरा – 1010 км²
राज्य मे कम वन –
- चुरु – 78 км²
- हनुमानगढ़ – 93 кма
- जोधपुर – 109 км²
- श्रीगंगानगर – 115 км²
सर्वाधिक % वन –
- उदयपुर – 23.49%
- प्रतापगढ़ – 23.24%
- सिरोही – 17.49%
- करौली – 15.28%
कम % वन –
- जोधपुर- 0.48%
- चुरु – 0.56%
- जैसलमेर – 0.84%
- बीकानेर – 0.92%
- वनों में कमी – जालौर, करौली, सिरोही
- सर्वाधिक वनों में वृद्धि – अजमेर पाली, बीकानेर
- इस वन रिपोर्ट में 14 जिलों के वनो मे कमी तथा 19 जिलों के वनो मे वृद्धि हुई है।
- निम्न जिलों के वनो में कमी हुई है- जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद, कोटा, बांरा, करौली, भरतपुर, अलवर, दौसा, चुरु ।
- राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.60 % भू-भाग पर वन है।
- इस वन रिपोर्ट मे राजस्थान के वनो में 25.45 KM2 की वृद्धि हुई है।
राजस्थान के वनो का वर्गीकरण –
कानूनी / वैधानिक
- रक्षित
- आरक्षित
- अवर्गीकृत
भौगोलिक –
1. उपोष्ण कटिबंधीय सदाबहार
2. उष्ण कटिबंधीय सागवान
3. उष्ण कटिबंधीय मानसूनी
4. उष्ण कटिबंधीय धोकड़ा
5. उष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय
चैंपियन और सेठ वर्गीकरण
वैधानिक वर्गीकरण:-
32,845 वर्ग किमी → 9.59%
क्र.सं | वैधानिक | क्षेत्रफल ( वर्ग किमी ) | प्रतिशत |
1. | आरक्षित वन | 12252.28 | 37.30 % |
2. | रक्षित वन | 18494.97 | 56.31 % |
3. | अवर्गीकृत वन | 2098.05 | 6.39 % |
32,737 वर्ग किमी – 9.57%
प्रकार | वर्ग किमी | % | प्रतिबंधित/ छूट | Highest |
आरक्षित वन | 12,475 | 38.11% | पशु चारण, लकड़ी काटना, आखेट पूर्णतया प्रतिबंधित | उदयपुर |
रक्षित वन | 18,217 | 55.64% | लकड़ी काटना, पशु चारण पर सिमित छूट | बांरा |
अवर्गीकृत वन | 2,045 | 6.25% | लकड़ी कटाने, पशु चराने पर कोई प्रतिबंध नहीं | बीकानेर |
चैंपियन और सेठ 1968 वर्गीकरण
राजस्थान के वनों को मुख्यतः दो भागों में बांटा गया
1. उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन /
2. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वनस्पति/
इन दोनों भागों को 20 भागों में विभाजित किया गया
भौगोलिक वर्गीकरण :-
उष्ण कटिबंधीय मरुस्थलीय
- वर्षा :-0 – 30 cm
- विस्तार – पश्चिमी राजस्थान
- मरुदभिद वनस्पति
उष्ण कटिबंधीय धोकड़ा
- वर्षा :-30 – 60 cm
- अर्ध शुष्क मरुस्थल जिले
- खेजड़ी, रोहिड़ा, केर, बबूल
उष्ण कटिबंधीय मान्सूनी / पतझड़
- वर्षा :-50-80 cm
- उदयपुर, चित्तौड़, राजसमंद, भीलवाड़ा + ABCD
- साल, सागवान, शीशम, आम, चंदन
उपोष्ण कटिबंधीय सदाबहार
- वर्षा :-150 cm
- विस्तार – माउंट आबू
- वनस्पति – आबू एन्सिस, जामुन, बांस
उष्ण कटिबंधीय सागवान
- वर्षा :-75 – 110
- वागड़ + कोटा, झालावाड़
- वनस्पति – गूलर, महुआ, तेंदू
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
सघनता के आधार पर वनो का वर्गीकरण –
अति सघन वन – 70% भू-भाग पर वन – कुल क्षेत्रफल – 0.02%
खुले वन – 10-40% भाग – 3.57 %
मध्यम सघन वन – 40-70% भाग – 1.28%
राजस्थान में सघनता के आधार पर वनो का प्रतिशत 4.87%
- विश्व वानिकी दिवस 21 मार्च
- विश्व जल दिवस – 22 मार्च
- विश्व पृथ्वी दिवस – 22 अप्रैल
- विश्व जैव विविधता दिवस 22 मई
- विश्व पर्यावरण दिवस – 5 जून
- विश्व मरुस्थलीकरण दिवस – 17 जून
- वन उत्सव जूलाई – अगस्त
- विश्व ओजोन दिवस – 16 सितम्बर
- वन्य जीव सप्ताह – 2 से 8 अक्टूबर
राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड – जपपुर
इसकी स्थापना 14 सितम्बर 2010
खेजड़ी (प्रोसेसिप सिनेरेरिया) – राज्य वृक्ष का दर्जा – 1983
उपनाम – कन्नड़ भाषा- बन्ना बन्नी
तमिल भाषा – पेपमेय
सिन्धी भाषा – घोकड़ा
राजस्थान का कल्पवृक्ष कहते हैं।
रोहिड़ा (टिकोमेला अंडुलेटा) – राज्य पुष्प का दर्जा – 1983
उपनाम – रेगिस्तान का सागवान / मरुशोभा
ढाक / पलास (ब्यूटिया मोनोपमा) → जंगल की ज्वाला ।
महुआ (मधुका लोगोफोलिया) – यह उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ में मिलता है।
आदिवासियों का कल्पवृक्ष कहते हैं।