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राजस्थान के प्रमुख मंदिर की शैलियां – दोस्तों आज इस पोस्ट में हम राजस्थान की मंदिरों की शैलियों के बारे में जानकारी लेके आए है। इसमें हम मंदिर स्थापत्या कला, मंदिर स्थापत्य, हिन्दू मंदिर वास्तुकला, नागर शैली, बेसर शैली, द्रविड़ शैली के बारे में पढ़ेंगे। यह राजस्थान जीके का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है।
मन्दिरों की प्रमुख शैलियां –
1. नागर शैली
2. बेसर शैली
3. द्रविड शैली
नागर शैली –
‣ यह भारत के उत्तर भारत के मंदिरों की शैली है।
‣ नागल शैली के मन्दिर, आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते है।
‣ इन मन्दिरों का गर्भगृह चौकोर होता है।
‣ इसके शिकार के ऊपरी भाग पर आमलक व कलश बनाए जाते है।
‣ नागर शैली का प्रचलन हिमालय और विन्ध्य पहाड़ों के बीच है।
‣ राजस्थान के अधिकांश मन्दिर नागर शैली में बने है।
द्रविड़ शैली –
‣ यह दक्षिण भारत के मंदिरों की शैली है।
‣ इस शैली में मन्दिर के ऊपर का भाग पिरामिडनुमा तथा गुंबदाकार होते है।
‣ इन मंदिरों का प्रवेश द्वार गोपुरम कहलाता है।
‣ इसमें मंदिर स्तंभनुमा होते है।
‣ रंग मंदिर – पुष्कर
‣ महादेव मंदिर – झारखण्ड
बेसर शैली –
‣ यह मध्य भारत के मन्दिरों की शैली है।
‣ नागर व द्रविड़ का मिश्रण बेसर शैली कहलाता है।
इस शैली की विशेषताएं –
‣ इस मन्दिर के निर्माण में शिखर नागर शैली से लिया जाता है तथा द्रविड़ शैली की मूर्तियां लगाई जाती है।
मंदिर निर्माण की कुछ अन्य शैलियां –
भूमिज शैली –
‣ यह शैली नागर शैली की उपशैली का नवीनतम रूप है।
‣ यह महामारू व बेसर शैली का मिश्रण है।
‣ इसमें मंदिरों का शिखर अन्य खण्डों में बाट जाता है।
‣ यह शैली महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश में फैली हुई है।
‣ झालरापाटन का सूर्य मंदिर – झालावाड़
चालुक्य शैली –
‣ बेसर शैली के अधिकांश मंदिर चालुक्य राजाओं ने बनवाए थे इसलिए इसको चालुक्य शैली भी कहा जाने लगा ।
मारू गुर्जर शैली / सोलंकी शैली –
‣ मारू गुर्जर शैली के अधिकांश मंदिर सौलंकी राजाओं ने बनवाए इसकी कारण इस शैली को सौलंकी शैली भी कहा जाता है।
‣ इस शैली के मंदिर 1000 ई. के है।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर –
अजमेर के प्रमुख मंदिर –
(1) ब्रह्मा मंदिर – ( पुष्कर )
‣ यह मंदिर पृष्कर (अजमेर ) में स्थित विश्व प्रसिद्ध मंदिर है।
‣ निर्माण – गोकलचंद पारीक ने करवाया।
‣ यह मंदिर भारत का एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर है।
‣ इस मंदिर को 1809 में राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।
‣ पुष्कर राजस्थान में विख्यात तीर्थस्थान है, जहां विश्व का एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर है यहां पर प्रतिवर्ष पुष्कर मेला लगता है।
(2) सोनीजी की नसियां –
‣ निर्माण – इस मंदिर का प्रारंभिक निर्माण मूलचंद सोनी ने करवाया तथा इसको पूर्ण इनके पुत्र टिकमचन्द सोनी ने 1865 में करवाया।
‣ इसको लाल मंदिर भी कहा जाता है।
‣ यहां एक पर एक दिगंबर जैन मंदिर भी स्थित है।
(3) आनंदी माता का मंदिर – नीसल, किशनगढ़
‣ यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ है।
(4) सावित्री मंदिर – ( पुष्कर )
‣ यहा सावित्री जी की पुत्री सरस्वती जी की मूर्ति स्थापित है।
‣ यहा पर 3 मई, 2016 में रोपवे लगा। जो 700 मीटर लम्बा है।
‣ यह रोप वे राजस्थान का तीसरा राव वे है।
‣ इस मंदिर का निर्माण गोकलचंद पारिख ने किया।
(5) रंगनाथ जी मंदिर – ( पुष्कर, अजमेर )
‣ इनका मंदिर द्रविड शैली का राजस्थान में सबसे बड़ा मंदिर है।
‣ इसका निर्माण 1844 ई. सेठ पूरणमल के द्वारा करवाया गया है।
‣ इस मंदिर में विष्णु लक्ष्मी की मूर्तियां स्थित है।
‣ यह मंदिर रामानुज संप्रदाय का तीर्थ स्थल है।
(6) काचरिया मंदिर – ( किशनगढ़, अजमेर )
‣ यह मंदिर निम्बार्क सम्प्रदाय का है।
(7) वराह मंदिर – ( पुष्कर, अजमेर )
‣ इस मंदिर का निर्माण अर्णोराज चौहान के द्वारा करवाया गया।