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आज हम इस पोस्ट में उच्च न्यायालयों के बारे में चर्चा करेंगे। इसमें हम राजस्थान उच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय के गठन, कार्यकाल, नियुक्ति एवं शक्तियों के बारे में पढ़ेंगे। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है।
राज्यों में न्यायपालिका के सर्वोचय स्तर पर उच्च न्यायालय होता है।
संविधान के भाग 6 के अनुच्छेद 214 से 231 तक प्रावधान किए गए है।
भारत में सर्वप्रथम 1862 में कलकता, मद्रास व बम्बई उच्च न्यायालयों की स्थापना हुई।
1 जुलाई 1862 में कलकत्ता में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
14 अगस्त 1862 में बम्बई में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
15 अगस्त 1862 में मद्रास में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
उच्च न्यायालय का वर्णन संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 214 से 231 तक है।
अनुच्छेद 214 :-
‣ अनु. 214 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई।
‣ वर्तमान में भारत में 25 उच्च न्यायालय कार्यरत है। इसमें से 19 उच्च न्यायालयों का क्षेत्राधिकार केवल संबंधित केंद्रशासित प्रदेश है तथा बाकी 6 उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधिकार में दो या दो से अधिक केंद्रशासित प्रदेश आते है।
अनुच्छेद 231:-
‣ अनु. 231 के अनुसार संसद दो या दो से अधिक राज्यों व संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही संयुक्त उच्च न्यायालय का प्रावधान कर सकती है।
अनुच्छेद 215:-
‣ इसमें उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना।
अनुच्छेद 216:- ( उच्च न्यायालय का गठन )
‣ अनुच्छेद 216 के अनुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और ऐसे अन्य न्यायाधीशों से मिलकर होता है, जिन्हें राष्ट्रपति समय – समय पर नियुक्त करना आवश्यक समझे। इस तरह से संविधान में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की संख्या के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। तथा अन्य न्यायाधीशों की संख्या के निर्धारण की शक्ति राष्ट्रपति को दी गई है, जो आवश्यकतानुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित करता है।
अनुच्छेद 217 (1) – ( न्यायाधीशों की नियुक्ति )
नियुक्ति : –
‣ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाता है।
‣ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश :- राष्ट्रपति + CJI + राज्यपाल
‣ उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश :- राष्ट्रपति + CJI + राज्यपाल + हाई कार्य का मुख्य न्यायाधीश
‣ 1950 से 1993 तक राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर न्यायाधीशों की नियुक्ति होती थी।
‣ 1993 से अब तक _- कॉलेजियम सिस्टम ( 1 + 4 न्यायधीश )
‣ 1993 में कॉलेजियम सिस्टम की स्थापना की गई।
कार्यकाल : –
‣ अनुच्छेद 217 (1) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की 62 वर्ष तक की आयु पूर्ण होने तक अपने पद पर बना रहेगा।
त्यागपत्र : –
‣ अनुच्छेद 271 (1) (क) के अनुसार उच्च न्यायालय का कोई भी न्यायाधीश राष्ट्रपति को लिखित या स्वयं द्वारा हस्तक्षरित त्यागपत्र दे सकता है।
पदमुक्त : –
‣ अनुच्छेद 217 (1) (ख ) के अनुसार समय से पहले उच्च न्यायालय के किसी भी
अनुच्छेद 217 (2) – ( न्यायाधीशों की योग्यताएं )
‣ वह भारत का नागरिक हो।
‣ कम से कम 10 वर्ष तक भारत में न्याय सम्बंधी पर पर कार्य कर चुका हो या वह एक से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक वकील रह चुका हो।
‣ राष्ट्रपति की नजर में कानून का अच्छा जानकर हो।
नोट – sarv mittra sikri वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट के जज बनने वाले पहले व्यक्ति थे।
अनुच्छेद 219 : –
शपथ : –
‣ अनुच्छेद 219 के अनुसार राज्यपाल या राज्यपाल के द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है।
‣ न्यायाधीश संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा अथवा निष्ठा रखने की शपथ दिलाई जा सकती है।
अनुच्छेद 220 : –
‣ हाई कोर्ट के न्यायाधीश सेवानिवृत के बाद किसी भी न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में सेवायें नही दे सकते है। (हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को छोड़कर)
‣ किंतु जिस हाई कोर्ट में वो न्यायाधीश रह चुके है वहां पर भी वह अपनी सेवाएं नही दे सकते है।
अनुच्छेद : -221
वेतन एवं भत्ते : –
‣ हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को वेतन राज्य की संचित निधि से दिया जाता है।
‣ न्यायाधीशों का वेतन संसद निर्धारित करती है।
‣ सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश उनके अंतिम माह के वेतन का 50 प्रतिशत प्रतिमाह पेंशन पाने के हकदार है।
‣ पद पर रहते हुए इनकी वेतन में कोई कटौती नही की जा सकती है।
अनुच्छेद 222 : –
न्यायाधीशों का स्थानान्तरण : –
‣ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में राष्ट्रपति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से स्थानान्तरण किया जा सकता है।
अनुच्छेद 223 : –
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश : –
‣ अनुच्छेद 223 के अनुसार मुख्य न्यायधीश का पद रिक्त हो जाने पर राष्ट्रपति हाईकोर्ट के किसी भी न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर सकते है।
अनुच्छेद 224 : –
अपर एवं कार्यकारी न्यायाधीश : –
‣ अनुच्छेद 224 के अनुसार राष्ट्रपति योग्य व्यक्तियों को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते है, जिसकी अवधि दो वर्ष से अधिक नही होगी।
यदि हाई कोर्ट के कार्यों में वृद्धि हो जाने पर।
अनुच्छेद 225 : –
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार/ अधिकारता: –
‣ रिट जारी करने का अधिकार
‣ अपील अधिकारिता
‣ अभिलेखीय अधिकारिता
‣ न्यायिक समीक्षा की अधिकारिता
‣ अधिनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण का अधिकार
अनुच्छेद 226 : –
‣ उच्च न्यायालय को रिट जारी करने का अधिकार होता है।
‣ अनुच्छेद 226 के अनुसार मूल अधिकारों केसे सम्बन्धित कोई भी अभियोग सीधे उच्च न्यायालय में लाया जा सकता है।
अनुच्छेद 227 : –
अधीनस्थ न्यायालयों पर नियन्त्रण : –
‣ अनुच्छेद 227 के अनुसार उच्च न्यायालय को अपने अधीन आने वाले सभी न्यायालयों का अधीक्षण करने का अधिकार होता है।
अनुच्छेद 228 : –
‣ उच्च न्यायालय अपने राज्य के सत्र न्यायालयों में चल रही किसी मामले को अपने पास मंगवा सकता है किंतु उसको स्थानान्तरण नहीं कर सकता है।
अनुच्छेद 233 : –
‣ इस अनुच्छेद के अनुसार राज्यपाल उच्च न्यायालय से विचार विमर्श करके जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करते है।
अनुच्छेद 234 : –
‣ अनुच्छेद 234 के अनुसार जिला न्यायाधीशों के अलावा अन्य न्यायिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय व राज्य लोक सेवा आयोग के साथ विचार विमर्श पर की जा सकती है।
अनुच्छेद 235 : –
‣ संविधान के अनुच्छेद 235 के अनुसार राज्य के उच्च न्यायालय को अपने अधीन कार्यरत जिला न्यायालयों का नियंत्रण व निरीक्षण करने तथा न्यायिक सेवा के अधिकारियों के स्थानांतरण पदस्थापन व अवकाश स्वीकृति करने की शक्तियां प्रदान की गई है।