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विधानसभा – दोस्तों आज हम इस पोस्ट में विधानसभा के बारे में जानेंगे। इसमें हम विधान सभा का गठन कब हुआ, विधान सभा क्षेत्र, विधानसभा अध्यक्ष, विधानसभा के कार्य तथा विधानसभा से सम्बन्धित आर्टिकल के बारे में जानेंगे। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है।
राज्य की विधानमंडल –
- राज्यपाल
- विधान सभा
- विधान परिषद
अनुच्छेद 168 के अनुसार राज्य के लिए विधानमंडल ( राज्यपाल + विधान सभा + विधान परिषद )
विधान सभा –
‣ विधान सभा ओ निम्न सदन या लोकप्रिय सदन कहा जाता है।
‣ राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें है।
विधन सभा का गठन –
‣ संविधान के अनुच्छेद 170 के अनुसार प्रत्येक राज्य की विधान सभा में न्युनतम 60 तथा अधिकतम 500 सदस्य हो सकते है। लेकिन सिक्किम 32, गोवा 40, पुडुचेरी 33, मिजोरम 40 आदि राज्य इसके अपवाद हैं।
‣ अनुच्छेद 333 के अनुसार राज्यपाल 1 सदस्य को आंग्ल भारतीय को मनोनीत कर सकता है।
विधानसभा सदस्यों की योग्यताएं –
‣ अनुच्छेद 173 ( विधानमंडल के सदस्यों की योग्यता )
‣भारत का नागरिक हो।
‣ कम से कम 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
‣ सरकार के किसी लाभ के पद पर न हो।
‣ पागल या दिवालिया घोषित न हो।
‣ संसद विधि द्वारा निर्धारित सभी योग्यताओं से युक्त हो।
विधान सभा का कार्यकाल –
‣ अनुच्छेद 172 में ( विधानमंडल के कार्यकाल का उल्लेख )
‣ सामान्यतः विधान सभा और उसके सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
‣ राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर इनको 5 वर्ष से पहले भी भंग कर सकती है।
‣ राष्ट्रपति के द्वारा आपातकाल की स्थिति में संसद के द्वारा कानून बनाकर एक बार में एक वर्ष कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है।
शपथ –
विधानमंडल के सदस्यों की शपथ –
‣ अनुच्छेद 188 में विधानमंडल के सदस्यों की शपथ के बारे में बारे में बताया गया है।
‣ राज्यपाल या राज्यपाल के द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के द्वारा शपथ दिलाई जाती है।
‣ अनुच्छेद 178 के अनुसार विधानसभा के सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष निर्वाचन करते है। विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों का पद रिक्त होने पर धीनासभा की कार्यवाही की अध्यक्षता, के लिए राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधानसभा सदस्य ही करेगा तथा सदस्यगण अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का फिर से चुनाव किया जायेगा। इनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
‣ अनुच्छेद 179 के अनुसार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का त्यागपत्र और पद से हटाने
‣ विधानसभा/उपाध्यक्ष अगर विधानसभा के सदस्य नहीं रहते है तो उनको अपना पद का त्याग करना पड़ेगा।
‣ वह अपनी इच्छा से भी त्याग पत्र दे सकते है।
‣ विधानसभा में प्रस्ताव लाकर इन्हें बहुमत से हटाया जा सकता है।
‣ विधानसभा के भंग होने के बाद भी अध्यक्ष अपने पद पर बने रह सकते है।
‣ अनुच्छेद 180 – उपाध्यक्ष या अन्य सदस्य का अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का अधिकार
‣ विधानसभा का अध्यक्ष का पद रिक्त है तो उपाध्यक तथा दोनों के पद रिक्त है तो राज्यपाल द्वारा नियुक्त सदस्य विधानसभा की बैठकों में अध्यक्ष पर कार्य करेगा।
विधानसभा के कार्य एवं शक्तियां –
‣ जिन राज्यों में विधान मंडल एक सदन है वहां पर विधानमंडल की सभी शक्तियों का प्रयोग विधानसभा के द्वारा की जाता है। तथा जिन राज्यों में विधानमंडल दो सदनीय है वहां पर भी विधानसभा अधिक शक्तिशाली होती है।
‣ राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार
‣ यदि विधानमंडल द्विसदनीय हो तो विधेयक विधानसभा से पास होकर विधान परिषद के पास जाता है। विधान परिषद यदि उसे रद्द कर दे या 3 महीने तक उस पर कई कार्यवाही ना करें या ऐसे संशोधन कर दें जो विधानसभा को स्वीकृत ना हो तो विधानसभा उस विधेयक को दोबारा पास कर सकती है और उसे दोबारा विधान परिषद के पास भेज सकती है।
‣ राज्य सूची 66 विषय तथा समवर्ती सूची में 47 विषय है।