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विजय स्तम्भः- वितौड़गढ़ ( Tower of Victory )
- यह चितौड दुर्ग में स्थित ।
- ऊँचाई 122 फीट 9 मंजिला इमारत
- इसका निर्माण- 1440-48 ई. में राणाकुम्भा ने करवाया।
- विजय स्तम्भ की आकृति डमरू के समान है।
- विजय स्तम्भ भगवान विष्णु को समर्पित है।
- इसका निर्माण सोरगपुर (मालना) विजय (1437 ई.) के उपलक्ष मेंकरवाया गया।
- इसमें 157 सीटियों हैं। व आधार की चौडाई 30 फुट है।
- इसकी आठवीं मंजिल पर कोई मूर्ति नहीं है।
- इसके शिल्पी ( जैता) और इसके सहयोगी नाथा, पामा पूंजा
- इसकी प्रथम मंजिल पर कुम्भस्वामी (विष्णु मंदिर है जिस कारण उपेन्द्र नाथ डे ने इसे विष्णु ध्वज कहा है।
- विजय स्तम्भ की तीसरी मंजिल पर 9 बार अरबी भाषा में अल्लाह शब्द लिखा गया है।
- इसके चारो ओर मूर्तियों होने के कारण इसे मूर्तियों का अजाय- बघर कहते हैं।
- यह राजस्थान की प्रथम इमारत है जिस पर 15 अगस्त 1949 को एक रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।
- इसके चारों तरफ मूर्तियां होने कारण इसे मूर्तियों का अजायबघर कहा जाता है।
- यह राजस्थान पुलिस व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतिक चिन्ह है।
- इसके निर्माण में 90 लाख का खर्चा आया।
- इसकी 9वीं मंजिल पर जत्रि-महेश ने (अभिकति) मेवाडी भाधा में कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति की रचना की। जिसमें राणा कुम्भा की विजयों का वर्णन है।
- विजय स्तम्भ की 8वीं मंजिल पर कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति है तथा यह संस्कृत के लिखा हुआ है।
- विजय स्तम्भ की 9वीं पर बिजली गिरने नष्ट पर 1911 ई. स्वरूप सिंह ने इसकी मस्मत करवाई थी।
विजय स्तम्भ के उपनाम – विनद्री गवर
- कुतुबमीनार से श्रेष्ठ- कर्नल जेम्स टाँड
- रोम के टार्जन के समान – फर्ग्यूसन
- हिन्दू प्रतिमा शास्त्र की अनुपम निधि-आरपी व्यास
- संगीत की भव्य विनशाला डी. सीमा राठौड
- लोकजीवन का रंगमेच गोपीनाथ शमी
- विष्णु ध्वज- उपेन्द्रनाथ डे
- गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने पौराणिक देवताओं का अमूल्य कोष बताया है।