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- महाभारत एवं संहिता ग्रंथो में राजस्थान के कई जनपदो का उल्लेख मिलता है।
- अऋग्वेद सहित पौराणिक ग्रंथो, रामायण, चरक संहिता, महाभारत एवं बृहद्संहिता में मरूप्रदेश का नाम आता है।
जांगल प्रदेश
- वर्तमान – नागौर, बीकानेर एवं जोधपुर बा कुछ भाग सम्मिलत है।
- राजधानी – अहिछत्रपुर थी।, जिसका साम्य वर्तमान नागौर से प्रतीत होता है।
मरुप्रदेश
- आर्यों का प्रारंभिक जनतंत्र था
- वर्तमान- बीकानेर, नागौर, चुरु, गंगानगर, जैसलमेर एवं धाड़मेर के कुछ जिले ।
- वर्तमान में इस क्षेत्र में विस्तार के साथ कुरु, मद्र तथा जांगल नामक जनपदो का निर्माण हुआ।
मत्स्य जनपद
- महाभारत काल में इसकी राजधानी विराटनगर (बैराठ) थी।
- इसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- इस स्थान का वर्णन चीनी यात्री धुवानच्यांग ने भी किया।
- जयपुर एवं अलवर के मध्य स्थित था।
शूरसेन क्षेत्र
- राजधानी- मधुरा थी।
- भरतपुर, धौलपुर तथा करौली के अधिकतर भू- भाग सम्मिलित थे।
- बयाना प्रगस्ति में भी शूरसेन नामक राजवंश का वर्णन मिलता है।
- चौथी शताब्दी ई. पूके धूनानी लेखको ने सिकंदर के समय शूरसेन था सौरसेन का उल्लेख किया है।
- अपने साहस और गौर्च के लिए मालव, शिवि, अर्जुनायन आदि जातियां प्रमुख थी।
शिवि जनपद
- आधुनिक उदयपुर के पूर्व, पश्चिम तथा उत्तर का संभागीय प्रदेश शिवि जनपद के नाम से जाना जाता था।
- राजधानी – मज्झमिका | माध्यमिका थी।
- उस भूयाग को मेदपाट (मेवाड.) तथा प्राग्वाट कहा जाता था।
- उसके अवशेष चितौडगढ़ के पास नगरी नामक गाँव में पिलते है
अर्जुनायन
- अलवर – भरतपुर प्रांत के
- अपनी विषयों के लिए प्रसिद्ध थे।
- इन्होंने मालवो के साथ मिलकर विदेशी क्षत्रपों को परास्त किया।
मालव
- शक्ति का केन्द्र जयपुर के निकट था जो वर्तमान टोंक में हैं।
- टोंक, प्रतापगढ़ एवं झालावाड. का क्षेत्र मालवा
- मालतो की दिग्विजय का “धूप अभिलेख’ नांदसा (भीलवाड़ा) में मिलता है।
यौद्वय क्षेत्र
- राजस्थान के उत्तरी भाग का एक शक्तिशाली कबीला था।
- संभवतया इन्होंने ही उत्तरी राज से कुषाण शक्ति को नष्ट किया।
मेवाड
- प्राचीन शिवि जनपद वाले क्षेत्र को कहा गया।
- आधुनिक – उदयपुर, चितौडगढ, प्रतापगढ़, राजसमंद, भीलवाङन के क्षेत्र
- यहाँ पर मेवाड़ी बोली बोली जाते हैं।
- सातवीं शताब्दी से आधुनिक राजस्थान निर्माण तक
- गुहिल – सिसोदिया वंश का राज्य रहा।
वागड
- डूंगरपुर, बाँसवाडा के भूभाग को वाराट् /वाग कहा गया।
- भाषा वागढी
मारवाड
- प्राचीन मरु प्रदेश कालांतर में मारवाड
- सदी में उसके मंडोर (जोधपुर) क्षेत्र पर गुर्जर प्रतिहारों ने शासन किया, बाद में उस क्षेत्र पर राठौड, वंश का आधिपत्य हो गया।
हाड़ौती
- वर्तमान कोटा, बूँदी क्षेत्र
- बोली- हाड़ौती
- प्राचीनकाल में मीणा जाति का आधिपत्य था।
- मीणा वंश का बूँदा के नाम पर ही बूँदी नाम पड़ा।
- कालांतर में चौहान वंश की हाडा शाखा ने अधिकार कर लिया।
ढूँढाड, क्षेत्र
- जयपुर व इसके आस पास का क्षेत्र
- 12 वीं शताब्दी में कछवाह राजपूतो ने यहाँ अपने राजवंश को स्थापित किया।
- भाषा – ढूँढाडी
मेवात क्षेत्र
- अलवर-भरतपुर का क्षेत्र
- यहाँ पर मेव जाति की अधिकता होने के कारण।
- मेवातियो का प्रसिद्ध नायक हसन खान मेवाती था।
- जो खानवा के बुद्ध में राणा सांगा की ओर से बाबर के विरुद्ध लड़ता हुआ मारा गया।
अन्य क्षेत्र
जैसलमेर को माड/ वल्ल, जोधपुर का दक्षिणी भाग गुर्जरत्रा, प्रतापगढ़ को गुर्जरना, प्रतापगढ़ को कांठल और झालावाड को मालवा, सीकर, पुरु, झुंझुनू को शेखावाटी व ध्याषर – अजमेर का क्षेत्र – मेरवाङा नाम से जाना जाता है।