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हड़प्पा सभ्यता इतिहास pdf

हड़प्पा सभ्यता

✦ सिन्धु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। यह टिगरिस और यूक्रेटस के तट पर मेसोपोटामिया, नील नदी के तट पर मिस्र की सभ्यता एवं ह्वांग्हो के तट पर चीनी सभ्यता के समकालीन थी।

✦ इस सभ्यता के लिए साधारणतः तीन नामों का प्रयोग होता है- ‘सिन्धु सभ्यता’, ‘सिन्धु घाटी की सभ्यता’ और हड़प्पा सभ्यता ।

✦ सिन्धु घाटी सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम नगरीय क्रान्ति की अवस्था को दर्शाती है। 1921 ई. में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन मार्शल के निर्देशन में सर्वप्रथम हड़प्पा की खोज के कारण इसका नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा। दयाराम साहनी ने हड़प्पा स्थल की खुदाई कराई, जिसमें एक वृहद् नगरीय ढ़ाँचे का अवशेष प्राप्त हुआ।

✦ रेडियो कार्बन ‘C-14’ जैसी नवीन विश्लेषण पद्धति के द्वारा हड़प्पा सभ्यता का सर्वमान्यकाल 2350 ई.पू. से 1750 ई.पू. को माना जाता है।

✦ 1922-23 ई. में राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई के दौरान हड़प्पा से मिलते-जुलते अवशेष तथा अधिसंरचना को देखा। इसके उपरान्त पश्चिमोत्तर भारत के वृहद् क्षेत्र में विभिन्न स्थलों की खुदाई से विकसित सिन्धु सभ्यता का पता चला।

✦ हड़प्पा सभ्यता का क्षेत्र लगभग 12,99,600 वर्ग किमी में फैला है। यह सभ्यता उत्तर में कश्मीर के माण्डा से दक्षिण में महाराष्ट्र के दैमाबाद तथा पश्चिम में बलूचिस्तान के सुत्कागेंडोर से पूर्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आलमगीरपुर तक विस्तृत है।

✦ सर्वप्रथम हड़प्पा की खोज के कारण इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा।

✦ इसके अवशेष भारत, पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान तक फैले हैं। भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में हड़प्पा सभ्यता स्थलों का पता चला है।

सामाजिक जीवन

✦ हड़प्पाई लोगों का जीवन सुविधापूर्ण तथा ऐश्वर्यशाली था। सामाजिक व्यवस्था का मुख्य आधार परिवार था। यहाँ निवास करने वाले लोग मुख्यतः भूमध्य सागरीय तथा द्रविड़ मूल के थे। •

✦ मातृदेवी की पूजा तथा मुहरों पर अंकित चित्रों से यह परिलक्षित होता है हड़प्पा समाज सम्भवतः मातृसत्तात्मक था। मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक काँस्य आकृति प्राप्त हुई है। हड़प्पा के मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यतः लाल रंग का प्रयोग हुआ था।

✦ समाज को व्यवसाय के आधार पर विद्वान् (पुरोहित), योद्धा, व्यापारी तथा श्रमिक (शिल्पकार) के रूप में चार भागों में विभाजित किया गया है।

✦ लोग शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों थे। गेहूँ, जौ, तिल, दालें मुख्य खाद्यान्न थे। उत्तर अवस्था में चावल के प्रमाण भी मिलने लगे थे।

✦ स्त्री तथा पुरुषों में बहुमूल्य धातुओं से बने आभूषणों के प्रति आकर्षण देखने को मिलता है। सोने, चाँदी, हाथीदाँत, ताम्र तथा सीपियों से निर्मित आभूषण प्रचलित थे। मनकों के हार सामान्य रूप से प्रचलित थे। मनका निर्माण की कार्यशाला (फैक्ट्री) चन्हूदड़ो में अवस्थित थी। यहाँ से सौन्दर्य प्रसाधनकी सामग्रियों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।

✦ सिन्धुकालीन स्थल चन्दूदड़ो से एक ईंट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजों के निशान मिले हैं।

✦ आग में पकी मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था।

✦ सिन्धु घाटी के नगरों में किसी भी मन्दिर के अवशेष नहीं मिले हैं।

धार्मिक जीवन

✦ धार्मिक रूढ़ियों एवं कर्मकाण्डों को महत्त्व दिया जाता था। मूर्तियों एवं ताबीजों के अतिरिक्त मुहरों पर अंकित चित्रों से पशु पूजा, वृक्ष पूजा इत्यादि की प्रवृत्ति सामने आती है।

✦ सिन्धु घाटी के लोग मातृशक्ति में विश्वास करते थे।

✦ मातृ देवी तथा पशुपति शिव की मूर्तियों तथा आकृतियों से इनकी आराधना की प्रवृत्ति स्पष्ट होती है।

✦ मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पर पशुपति शिव की मूर्ति उत्कीर्ण है, जिसके दाईं ओर चीता और हाथी तथा बाईं ओर गैंडा और भैंसा उत्कीर्ण हैं। आसन के नीचे दो हिरण बैठे हुए हैं। सिर पर त्रिशूल जैसा आभूषण है। इससे पशुपति शिव की पूजा के प्रचलन का पता चलता है।

✦ कूबड़वाला बैल तथा श्रृंगयुक्त पशु पवित्र पशु थे। • हड़प्पा से पकी मिट्टी की स्त्री मूर्तिकाएँ भारी संख्या में मिली हैं। एक मूर्तिका में स्त्री के गर्भ से निकलता एक पौधा दिखाया गया है।

✦ लिंग पूजा प्रचलित थी। लोग अन्धविश्वास तथा जादू-टोना में विश्वास करते थे।

✦ अग्नि कुण्ड का साक्ष्य कालीबंगा से प्राप्त हुआ है। स्वास्तिक हड़प्पा सभ्यता की देन है।

✦ मृतकों के अन्तिम संस्कार की तीन विधियाँ प्रचलित थीं। ये हैं-पूर्ण समाधीकरण, आंशिक समाधीकरण तथा दाह-संस्कार ।

Note – स्वातन्त्र्योत्तर भारत में सबसे अधिक संख्या में हड़प्पायुगीन स्थलों की खोज गुजरात प्रान्त में हुई।
भारत में चाँदी की उपलब्धता के प्राचीनतमं साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति में मिलते हैं।
सिन्धु सभ्यता की मुद्रा में आद्य शिव के समतुल्य चित्रांकन मिलता है।
मोहनजोदड़ो स्नानागार के पूर्व निर्माण कुषाण काल में किया गया।

✦ पूर्ण समाधीकरण की प्रविधि ही अधिक प्रचलित थी। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो से समाधीकरण के साक्ष्य मिले हैं।

✦ मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ मुर्दों का टीला है। कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ काले रंग की चूड़ियाँ होता है।

आर्थिक जीवन

✦ हड़प्पा सभ्यता में उपजाए जाने वाली नौ फसलों की अब तक पहचान हुई है। गेहूँ, जौ के अतिरिक्त कपास, तरबूज तथा मटर भी उपजाए जाते थे।

✦ कपास को यूनानी सिन्डॉन कहते हैं, क्योंकि इसके उपज की पहली जानकारी यहीं से प्राप्त हुई है।

✦ कृषि में हल का प्रयोग खेतों की जुताई के लिए किया जाता था। सैन्धव सभ्यता से कोई फावड़ा या हल नहीं मिला है।

✦ कालीबंगा से हलरेखा का साक्ष्य मिला है। व्यवस्थित सिंचाई का प्रमाण नहीं मिला है, किन्तु जल-संग्रह के लिए बाँधों के निर्माण का साक्ष्य धौलावीरा से प्राप्त हुआ है।

✦ धातुकर्म की जानकारी हड़प्पा सभ्यता के लोगों को थी। ताँबा तथा टिन मिश्रण से काँस्य निर्माण की प्रविधि उन्हें ज्ञात थी। बन्द ढलाई तथा लुप्त मोम प्रक्रिया से धातुओं से वस्तुएँ बनाई जाती थीं।

✦ माप-तौल के मानकीकरण को स्थापित किया गया था। फुट तथा क्यूबिक की जानकारी लोगों को थी। माप के लिए दशमलव प्रणाली तथा तौल के लिए द्वि-भाजन प्रणाली के साक्ष्य विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए हैं। लोथल से हाथीदाँत का एक पैमाना मिला है।

✦ मुहरों पर चित्रित जहाजों के डिजाइन हैं। लोथल से गोदीबाड़ा का साक्ष्य, फारस की मुहरें बाह्य व्यापार का संकेत देती हैं। कालीबंगा से मेसोपोटामिया की बेलनाकार मुहरें भी प्राप्त हुई हैं। अधिकांश मुहरें सेलखड़ी की बनी थीं।

✦ हड़प्पा सभ्यता के लोग आन्तरिक तथा बाह्य व्यापार में संलग्न थे। आन्तरिक व्यापार बैलगाड़ी के माध्यम से संचालित होता था ।

✦ मेसोपोटामिया के साक्ष्यों में हड़प्पा स्थलों के लिए मेलूहा शब्द प्रयुक्त हुआ है। इन स्थलों का बाह्य व्यापार फारस की खाड़ी, मेसोपोटामिया अफगानिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान से भी होता था।

✦ हड़प्पा सभ्यता में वस्तु विनिमय प्रणाली प्रचलित थी। राजस्थान के खेतड़ी से ताँबा मँगाया जाता था।

✦ तौल की इकाई सम्भवतः 16 के अनुपात में थी ।

✦ कृषि तथा वाणिज्य-व्यापार के अतिरिक्त, बढ़ईगिरी शिल्प कर्म, आभूषण निर्माण, चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाना जैसी व्यावसायिक पद्धतियाँ भी हड़प्पा सभ्यता स्थलों में प्रचलित थीं।

✦ खुदाई में प्राप्त कताई-बुनाई के उपकरणों (तकली, सुई आदि) से पता चलता है कि कपड़ा बुनना एक प्रमुख उद्योग था।

नगरीय योजना

✦ हड़प्पा सभ्यता क्षेत्रों में उत्खनन के बाद प्राप्त स्थलों में नगरीकरण के अवशेष मिले हैं। भवनों के निर्माण में एकरूपता के दर्शन होते हैं।

✦ हड़प्पा सभ्यता स्थल से प्राप्त नगरीय अवशेष प्रायः दो भागों में विभाजित हैं – ऊपरी तथा निम्न भाग। ऊपरी भाग दुर्गीकृत है, जिसमें राजकीय इमारतें, खाद्य भण्डार गृह इत्यादि निर्मित हैं, जबकि निम्न भाग में छोटे भवनों के साक्ष्य मिले हैं।

✦ सभी भवन समान क्षेत्रफल में निर्मित हैं। ये सड़कों के किनारे एक आधार पर निर्मित हैं तथा भवनों के दरवाजे गलियों की ओर खुलते हैं।

✦ यहाँ के निवासियों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।

✦ प्रत्येक सड़क तथा गली के दोनों ओर पक्की नालियाँ निर्मित हैं। सड़कों के नीचे बड़ी नालियाँ निर्मित हैं।

✦ भवनों का निर्माण पक्की ईंटों से हुआ है। हड़प्पा सभ्यता में निकास प्रणाली इसके शहरीकरण की प्रमुख विशेषता है, जो इसके समकालीन मिस्र तथा मेसोपोटामिया की सभ्यता में अनुपस्थित थे।

✦ सभी भवनों में स्नानागार बनाए जाते थे तथा इनसे पानी के निकास के लिए पाइपों का निर्माण किया गया था।

✦ मोहनजोदड़ो से एक विशाल स्नानागार का साक्ष्य मिला है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुण्ड 11.88 मी लम्बा, 7.01 मी चौड़ा तथा 2.43 मी गहरा है। इसका उपयोग सम्भवतः आनुष्ठानिक क्रिया-कलापों के लिए किया जाता था।

✦ गुजरात में स्थित धौलावीरा हड़प्पा सभ्यता का एक वृहद् स्थल है यह नगरीय स्थल अन्य स्थलों की भाँति दो भागों में नहीं बल्कि तीन भागों में विभक्त है।

✦ धौलावीरा के दो भाग दुर्गीकृत हैं। यहाँ पत्थरों से निर्मित एक प्रवेश-द्वार तथा पालिशदार श्वेत पाषाण खण्ड भी मिला है।

✦ लोथल एवं सुरकोटदा के दुर्ग और नगर एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हैं।

लिपि तथा लेखन कला

✦ सैन्धवकालीन मुहरों से लिपि तथा धर्म की जानकारी मिलती है।

✦ सिन्धु लिपि (हड़प्पा सभ्यता में प्रचलित लिपि) चित्राक्षर लिपि है, जिसमें चित्रों के माध्यम से सम्प्रेषण का प्रयास हुआ है।

✦ इस लिपि को पढ़ने में अभी तक सफलता नहीं पाई जा सकी है।

✦ इस सिन्धु लिपि में 65 मूल चिह्न तथा 250 से 400 तक चित्राक्षर (पिक्टोग्राफ) हैं। इनका

✦ अंकन सेलखड़ी की आयताकार मुहरों, ताम्र की गुटिकाओं इत्यादि पर हुआ है।

✦ लिखावट प्रायः दाईं से बाईं ओर है। इसे बोस्ट्रोफेडन लिपि भी कहा जाता है।

✦ लिपि पर सबसे ज्यादा U आकार तथा सबसे ज्यादा प्रचलित चिह्न मछली का है।

✦ हड़प्पा लिपि का सबसे पुराना नमूना 1853 में मिला था और 1923 तक पूरी लिपि प्रकाश में आ गई, किन्तु इसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

पतन के कारण

✦ 1800 ई.पू. के आस-पास हड़प्पा सभ्यता बिखर गई। विद्वानों ने इसके पतन के कई कारण बताए हैं।

✦ आर्यों का आक्रमण-ह्वीलर, स्टुअर्ट पिग्गट, गार्डन चाइल्ड

✦ बाढ़-मार्शल, मैके, एस.आर. राव

✦ जलवायु परिवर्तन-आरेल स्टाईन, ए.एन. घोष

✦ जलप्लावन – एम.आर. साहनी

✦ महामारी, बीमारी-के.यू.आर. केनेडी

✦ पारिस्थितिक असंतुलन – फेयर सर्विस

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