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- चाणक्य की सहायता से अन्तिम नन्द शासक धनानन्द को अपदस्थ कर (322 ई. पू.-298 ई. पू.) में चन्द्रगुप्त मौर्य मगध का शासक बना। उसने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।
- सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त के दरबारमें भेजा था।
- सेन्ड्रोकोट्स की पहचान चन्द्रगुप्त के रूप में सर्वप्रथम ‘विलियम जोन्स’ ने की।�
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने अन्तिम समय में जैन भिक्षु भद्रबाहु से दीक्षा लेकर श्रवणबेलगोला में कायाक्लेश के द्वारा प्राण त्याग दिया।
- बिन्दुसार (298 ई. पू.-272 ई. पू.) को ‘अमित्रघात’ के नाम से भी जाना जाता है वह आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था ।
- बिन्दुसार ने सीरिया के शासक एण्टियोकस से अंजीर मदिरा तथा एक दार्शनिक की माँग की थी।
- अशोक (273 ई. पू.-236 ई. पू.) अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए प्रतिपादित ‘धम्म’ के लिए विश्व विख्यात है।
- साम्राज्य विस्तार के दौरान 305 ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य का संघर्ष यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर से हुआ, जिसमें सेल्यूकस की हार हुई थी ।
- सेल्यूकस ने 500 हाथियों के बदले एरिया (हेरात), अराकोसिया (कान्धार) जेड्रोसिया एवं पेरोपनिसडाई (काबुल) के क्षेत्रों के कुछ भाग दिए। सेल्यूकस की पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ हुआ।
- चन्द्रगुप्त तथा सेल्यूकस के युद्ध का वर्णन एप्पियानस ने
- किया है। सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में अपने राजदूत मेगास्थनीज को भेजा था।
- मेगास्थनीज ने पाटलिपुत्र में रहते हुए इण्डिका की रचना की।
- स्ट्रैबो तथा जस्टिन की रचनाओं में चन्द्रगुप्त मौर्य को ‘सैण्ड्रोकोटस’ कहा गया है, जबकि एरियन तथा प्लूटार्क ने उसे ‘एण्ड्रोकोटस’ कहा है।
- विलियम जोंस ने सबसे पहले यह प्रमाणित किया कि
- सैण्ड्रोकोटस ही चन्द्रगुप्त मौर्य है।
- मुद्राराक्षस (विशाखदत्त) में चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए ‘वृषल’ तथा कुलहीन शब्द का प्रयोग हुआ है
- चन्दुगुप्त मौर्य ने सौराष्ट्र, मालवा, अवन्ति के साथ सुदूर दक्षिण भारत के कुछ हिस्से को मगध साम्राज्य में मिलाया।
- चाणक्य– अर्थशास्त्र का रचनाकार कौटिल्य ही चाणक्य था। इसका अन्य नाम विष्णुगुप्त था। वह तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षक था, जहाँ चन्द्रगुप्त शिक्षा ग्रहण कर रहा था। चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को नन्द वंश की समाप्ति के लिए रणनीतिक सहायता प्रदान की तथा मौर्य वंश की।
मौर्य साम्राज्य प्रमुख शासक
चन्दुगुप्त मौर्य को मौर्य वंश का संस्थापक एवं प्रथम राजा थे। तथा चन्दुगुप्त मौर्य की माता का नाम मुर जिसका संस्कृत में अर्थ मौर्य होता है, इस कारण वंश का नाम मौर्य वंश पड़ा।
प्लूटार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने छः लाख सैनिक लेकर सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला तमिल ग्रन्थ अहनानूरू तथा पुरनानुरू से ज्ञात होता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य ने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया था।
चन्दुगुप्त अन्तिम समय में चन्द्रगुप्त जैन संन्यासी भद्रबाहु के साथ श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) पहुँचा। उसने चन्द्रगिरि पर्वत पर ‘चन्द्रगुप्त बस्ती’ बसाई, जहाँ 297 ई. पू. में लम्बे उपवास के बाद उसका निधन हुआ।
चन्दुगुप्त के सम्बन्ध में धारणा
ब्राहाण साहित्य | शूद्र |
बौद्ध एवं जैन साहित्य | क्षत्रिय |
जस्टिन | साधारण कुल में उत्पन |
मुद्राराक्षस | निम्न कुलोत्पन |
विष्णु पुराण | निम्न कुल में उत्पन |