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आज हम rajasthan lok seva aayog ( राजस्थान लोक सेवा आयोग ) के बारे में विस्तृत अध्ययन करेंगे। यहां हम राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों की सूची को भी देखेंगे तथा राजस्थान लोक सेवा आयोग के कार्य के बारे में चर्चा करेंगे। यह राजस्थान जीके का अति महत्वपूर्ण topic है। यदि आप भी किसी government exams की तैयारी कर रहे है, तो हमारी वेबसाइट पर आप बिल्कुल free में नोट्स पढ़ सकते हो। राजस्थान में सरकार द्वारा आयोजित सभी प्रकार के एग्जाम में यहां से प्रश्न पूछे जाते है। यह पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यहां पर आपको राजस्थान के सभी टॉपिक्स के नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहे। इन टॉपिक को पढ़कर आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते है। और government की सभी महत्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सकते है।�
राजस्थान लोक सेवा आयोग – (RPSC)
‣ 1995 के भारत शासन अधिनियम में पहली बार राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया। जो अप्रैल 1937 में लागू हुआ।
‣ राज्य में योग्य लोक सेवकों की भर्ती करने के लिए संविधान के 14वें भाग में अनुच्छेद 315 से 323 तक संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग के गठन, कार्य, शक्तियां, सदस्य नियुक्ति, बर्खास्तगी वेतन – भत्तों का प्रावधान दिया गया है।
‣ 16 अगस्त 1949 को RPSC की स्थापना हुई।
‣ 1956 में राज्य के पुनर्गठन के बाद सत्यनारायण राव समिति की सिफारिश पर राजस्थान लोक सेवा आयोग को अजमेर स्थानांतरित किया गया।
राजस्थान लोक सेवा आयोग का इतिहास –
‣ 1923 में ली कमिशन ने भारत में एक संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की थी। परंतु इस कमिशन ने प्रांतों में लो सेवा आयोगों की स्थापना के बारे में कोई विचार नही किया प्रांतीय सरकार अपनी आवश्यकता के हिसाब से नियुक्तियां करने एवं राज्य सेवा नियम बनाने के लिए स्वतंत्र थी।
‣ सर्वप्रथम राज्यों में लोक सेवा आयोग की स्थापना भारत सरकार अधिनियम 1935 की धारा 164 के अंतर्गत की गई थी। 1935 के अधिनियम के अनुसार अप्रैल 1937 में प्रांतों में लोक सेवा आयोग स्थापित हुई।
‣ आजादी से पहले राजस्थान अनेक देशी रियासतों में बंटा हुआ था। 20वीं सदी में राजपूताना के कुछ रियासतों ने अपनी लोक सेवा सेवाएं कार्यरत की थी। इन सेवाओं की भर्ती करने के लिए अपनी प्रांतीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी।
‣ राजस्थान के गठन के समय कुल 22 प्रांतों में से केवल 3 प्रांत – जोधपुर (1939), जयपुर ( 1940), बीकानेर ( 1946 ) में लोक लोक सेवा आयोग कार्यरत थे।
‣ सर्वप्रथम राजपूताना में 1939 में जोधपुर में राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी।
‣ रियासतों के एकीकरण के बाद गठित राजस्थान के तत्कालीन प्रबंधन में 16 अगस्त, 1949 को एक अध्यादेश के अधीन राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई जिसका प्रकाशन राजस्थान में राजपत्र में 20 अगस्त, 1949 को हुआ तथा इसी तिथि से अध्यादेश प्रभाव में आया।
‣ इस अध्यादेश में बिंदु एक के तीसरे पद में यह उल्लेख लिया गया की राजस्थान लोक सेवा आयोग में जिस तिथि को नियुक्त किए जाने की अधिसूचना राजस्थान राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी तब से आयोग प्रभाव में माना जाएगा। उसके बाद नियुक्ति सम्बन्धित अधिसूचना राजस्थान में दिनांक 22 दिसंबर, 1949 में प्रकाशित हुई तथा इसी तिथि से राजस्थान लोक सेवा आयोग प्रभाव में आया।
‣ इस अध्यादेश के द्वारा राज्य में कार्यरत अन्य लोक सेवा आयोग व लोक सेवा आयोग के जैसी कार्यरत अन्य सभी संस्थाएं बंद कर दी गई। इस अध्यादेश में आयोग के गठन, कार्यों एवं कर्मचारीगण संबंधित नियम तय किए गए।
‣ प्रारंभिक चरण में आयोग में एक अध्यक्ष दो सदस्य थे।
‣ सर.एस.के.घोष इसके प्रथम अध्यक्ष बने। इसी अध्यादेश की व्यवस्था के अनुसार 28 जुलाई, 1950 को श्री एस.सी. त्रिपाठी (IAS) राजस्थान लो सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा श्री देवीशंकर त्रिपाठी व श्री एन. आर. चडोडकर सदस्य नियुक्त किए गए।
‣ 1951 में आयोग के कार्यों की नियमित करने के उद्देश्य से राज प्रमुख द्वारा भारत के संविधान के अनुसार निम्न नियम पारित किए गए –
- राजस्थान लो सेवा आयोग सेवा की शर्ते नियम, 1951
- राजस्थान को सेवा आयोग कार्यों की सीमा नियम, 1951
संवैधानिक प्रावधान –
‣ संघ लोक सेवा आयोग के समान ही राज्यों के लिए भी राज्य लोक सेवा आयोग का संविधान में प्रावधान है।
‣ राजस्थान में इसका नाम राजस्थान लोक सेवा आयोग ( RPSC) है।
लोक सेवा आयोग के संविधान के प्रावधान –
‣ अनुच्छेद 315 (1) के तहत UPSC, SPSC, JPSC का उल्लेख है।
नोट – अनुच्छेद के अनुसार UPSC और SPSC की स्थापना का प्रावधान है।
‣ अनुच्छेद 315 (2) के अनुसार दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक संयुक्त लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है।
‣ अनुच्छेद 316 के अनुसार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति व कार्यकाल।
‣ अनुच्छेद 317 के अनुसार लोक सेवा आयोग के सदस्यों की बर्खास्तगी व निलंबन।
‣ अनुच्छेद 318 के अनुसार कर्मचारियों व सदस्यों की सेवा शर्तो के नियमन की शक्ति।
‣ अनुच्छेद 319 के अनुसार आयोग की किसी सदस्य द्वारा सदस्य न रहन पर उस सदस्य पर प्रतिबंध।
‣ अनुच्छेद 320 के अनुसार लोक सेवा आयोग के कर्त्तव्य।
‣ अनुच्छेद 321 के अनुसार लोक सेवा आयोग के कर्त्तव्यों में वृद्धि की शक्ति।
‣ अनुच्छेद 322 के अनुसार लोक सेवा का विस्तार।
‣ अनुच्छेद 323 के अनुसार लोक सेवा आयोग की रिपोर्ट।
कार्यकाल : –
‣ राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष व सदस्य अपने पद पर ग्रहण की तिथि से 6 वर्ष की अवधि या 62 वर्ष आयु प्राप्त करने, इनमे जो भी पहले हो तब तक अपना पद धारण करेगें।
नोट – कोई भी व्यक्ति अपने पद पर पुनः नियुक्त नहीं हो सकता है लेकिन सदस्य को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें 6 वर्ष का कार्यकाल प्राप्त होता है।
हटाया जाना –
‣ अनुच्छेद 317 – लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या किसी अन्य सदस्य को केवल कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनुच्छेद 145 में विहित प्रक्रिया के तहत् उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई जांच में दोष सिद्ध होने पर ही हटाया जा सकता है।
‣ यदि जांच के दौरान राज्यपाल आरोपी अध्यक्ष या सदस्य को निलम्बित कर सकता है।
त्याग पत्र –
‣ लोकसभा अध्यक्ष और सदस्य राज्यपाल को हस्ताक्षर सहित लेख के द्वारा त्याग पत्र दे सकते है।
‣ यदि कोई सदस्य पदावधि की समाप्ति पर उस पद पर पुनः नियुक्त का पात्र नहीं होगा।
नियुक्ति –
‣ आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल के द्वारा की जाती है।
शपथ –
‣ अध्यक्ष व सदस्य राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ दिलाई जाती है।
वेतन –
‣ अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को वेतन भत्तों का निर्धारण राज्य सरकार करती है। इन भत्तों के अलावा सदस्यों को चिकित्सा व आवासीय सुविधाएं भी दी जाती है। तथा सेवानिवृति के बाद उनको आवश्यक पेंशन भी प्रदान की जाती है।
अनुच्छेद 320 कार्य एवं शक्तियां –
‣ राज्य लोक सेवाओं की भर्ती प्रक्रिया को संपादित करना परीक्षा का आयोजन एवं साक्षात्कार करना।
‣ राज्य सरकार को ऐसे मामले में सलाह देना जो राज्यपाल आयोग के सौंपे।
‣ राज्य की प्रशासनिक, सहकारिता, पुलिस, लेखा आदि। सभी रिक्त पदों व नवीन पदों पर भर्ती करना।
‣ अपने कार्य का वर्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देना।
‣ परीक्षा का आयोजन करना
‣ अनुशंसा करना
‣ परामर्श संबंधी कार्य
‣ भर्ती संबंधी कार्यक्रम