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एक से अधिक उद्दर्शय की प्राप्ती के लिए था बहुत उद्दर्शव की प्राप्ती के लिए जो परियोजना चलाई जाती है, बहुउद्दशीय परियोजना कहलाती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी नदी घाटी परियोजना (विश्व > की प्रथम नदी परियोजना) के आधार पर भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सिंचाई की सुविद्या के विकास तथा जल- विद्युत उत्पादन, मृदा संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण, पेय जल – व्यवस्था, मत्स्य पालन आदि के उद्द्दशेय से नदी घाटी परियोजनाएँ बनाई गई एवं सुचारू रूप से क्रियान्वित की गई।
उपर्युक्त प्रकार के अनेक लाभ देने के कारण ही इस परियोजना को बहुउद्देशीय परियोजना की संज्ञा दी गई।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसको । आधुनिक भारत का मंदिर तथा तिर्थस्थल कहा है।
बड़े-बड़े नदियों के उपर बाँध बनाकर परियोजनाएँ चलाई जाती है।
बड़े-बड़े नदियों के उपर बाँध का निर्माण करने से बाँध के पिछे जलाशय / झील का निर्माण हो जाता है। जो बहुत आकर्षक तथा मनमोहक होता है।
चुकि बाँध का निर्माण करने से बाँध के पिछे बहुत अधि क पानी का बटोराँव हो जाता है, जिसमें पानी की बहुलता होती है। कहने का तात्पर्य कि यह मानव के लिए तो बहुत उपयोगी हैं, परंतु अन्य जीव-जन्तु जो जंगलों में निवास करते है, उनके लिए थे खतरे के समान है। उनका प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है।
पंजाब में सतलज नदी का पानी दो जगहों पर रोका गया है भाखड़ा नामक स्थान पर तया नांगल नामक स्थान पर यानि पंजान मैं सतलज नदी के पानी को रोकने के लिए दो बाँध भाखड़ा तया नांगल का निर्माण किया गया है। संयुक्त रूप से इसे- भाखड़ा नांगल बाँध कहा जाता है।
भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएँ
- दामोदर प्पाटी परियोजना
- कोयना परियोजना
- भाखड़ा नांगल परियोजना
- बगलिहार परियोजना
- रिहन्द बाँध परियोजना
- किशनगंगा परियोजना ।।
- हीराकुंड बाँध परियोजना
- पोलावरम परियोजना
- ब्यास परियोजना
- पंचेश्वर ब० परियोजना
- गंडक परियोजना
- बुनाखा परियोजना
- कोसी परियोजना
- रेणुका बाँध परियोजना
- इंदिरा गाँधी परियोजना
- चंबल परियोजना
- किशाऊ परियोजना
- नागार्जुन परियोजना
- केन-बेतवा लिंक परियोजना
- तुंगभद्रा परियोजना
- सरदार सरोवर परियोजना
- मयूराक्षी परियोजना
- शरावती परियोजना
- टिहरी परियोजना
- देवसारी बाँध परियोजना
- फरक्का बैराज परियोजना
भारत की सिंचाई परियोजनाओं के भाग
लघु सिंचाई परियोजना –
इसके अंतर्गत 2,000 हेवटेयर से कम क्षेत्र की सिंचाई होती है।
कुआँ, नलकूप, डीजल पम्पसेट, तालाब, ड्रिप ‘सिंचाई, स्प्रिंकलर आदि ‘ शामिल किए जाते हैं।
मध्य सिंचाई परियोजना –
इसके अंतर्गत 2,000 से 10,000 हैक्टेयर तक क्षेत्र की सिंचाई की जाती हैं।
इसमें नहर सिंचाई प्रमुख है, क्योंकि छोटी नहरों को इसी वर्ग में रखा गया है।
वृहत् सिंचाई परियोजना –
इसके अंतर्गत 10,000 से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जाती है।
इसके लिए बड़े-बड़े बाँधो का निर्माण करावा जाता है। सामान्यतः इसमें बड़ी नहरों एवं बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल किया। जाता है।