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बालोतरा जिले का निर्माण बाड़मेर जिले से अलग होकर हुआ है।
बालोतरा के अन्तर्गत 7 तहसीलें आती है:
- पंचपदरा
- कल्याणपुरा
- गिरडाह
- गिड़ा
- बायतू समदड़ी
- सिवाणा
- सिणधरी
बालोतरा क्षेत्र लूणी नदी द्वारा सिंचित क्षेत्र है।
बालोतरा के उपनाम :
बालोतरा को वस्त्र नगरी भी कहा जाता है।
यहाँ अनेक औद्योगिक ईकाई होने के कारण इसे औद्योगिक जिला भी जाता है। कहा
प्राचीन नाम :- बाला की ढाणी ।
यह रंगाई छपाई हेतु भी प्रसिद्ध है।
लूणी नदी :
लूणी नदी बालोतरा नदी के की प्रमुख नदी है। लूणी बालोतरा में प्रवेश करने के बाद इसे मीठी खारी के नाम से ‘भी जाना जाता हैं।
जिले की प्रमुख तहसील व उपखंड :
पंचपदरा :-
पंचपदरा झील:-यहाँ कोसिया विधि द्वारा नमक तैयार किया जाता हैं।
पंचपदरा झील बालोतरा में स्थित है।
यह झील सबसे खारी झील है।
निर्माण : पंचपदरा झील का निर्माण पंचा भील के द्वारा किया गया था।
यहाँ पर जिसमें सर्वश्रेष्ठ नमक तैयार किया जाता हैं। जिसमें 98% सोडियम कलोराइड (Nacl ) मौजूद होता है। खारवाल जाति के लोग नमक बनाते है।
यहाँ पर पंचपदरा रिफाइनरी (पंचपदरा पैट्रोलियम रिफाइनरी ) एवं पैद्रो कैमिकल्स कॉम्पलेक्स की की स्थापना की गयी है।
बाँकीदास :- पंचपदरा के भाण्डियावास में बांकीदास का जन्म हुआ था।
ये मारवाड़ मानसिंह राठौड़ के दरबारी कवि थे।
इन्हें मारवाड़ का बीरबल भी कहा जाता है।
प्रसिद्ध ग्रंथ :
कुकवि बत्तीसी
आयो अंग्रेज मुल्क रे ऊपर
बांकीदास री ख्यात
बायतू :
बायतू के जोगासरिया गाँव में तेल के कुओं की खोज की गई है।
यहाँ खेमा बाबा का मंदिर है, जो जाटो के आराध्य देवता है।
समदड़ी :
यहाँ दर्जी समुदाय के देवता संत पीपा जी का मंदिर है।
यहाँ खेतेश्वर महाराज की धूणी भी है।
समदड़ी लूणी नदी के किनारे स्थित है।
सिवाणा :
यहाँ छप्पन की पहाड़ी व पिपलूद नामक स्थान है।
सिवाणा दुर्ग: यह हल्देश्वर पहाड़ी पर निर्मित है।
इसका निर्माण करवाया वीर नारायण पवार द्वारा गया है।
इसे मारवाड़ शासकों की शरण स्थली भी कहा जाता है।
उपनाम:-
कुमठ दुर्ग
कुम्थाना दुर्ग
खैराबाद दुर्ग।
इस दुर्ग को जालौर दुर्ग की कुंजी भी कहा जाता है।
यहाँ मालाणी नस्ल के घोड़े भी पाये जाते है।
यहाँ पर 1300 ई. में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा आक्रमण किया गया। जिसकी विजय उपलक्ष्य में इसका नाम खैराबाद दुर्ग किया गया।
आलम जी का धोरा – घोड़ो का तीर्थस्थल भी यहीं है।
सिवाणा दुर्ग में रायमलोत का थड़ा भी स्थित है।
5. नाकोड़ा :
यहाँ ‘भैरव बाबा का मंदिर है।
इसे राजस्थान का मेवा नगर भी कहते है।
यहाँ 23 वें ‘जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ का मंदिर स्थित है।
इसे जागती जोत व हाथ का हुजूर भी कहते है।
6. सिणधरी :
यहाँ सुप्रसिद्ध बजरंग पशु मेला लगता है।
रंगाई व छपाई कार्य :
यहाँ पर अजरक प्रिंट में लाल व नीले रंग का प्रयोग कर तथा मलीर प्रिंट में काले कत्थई रंग का प्रयोग कर रँगाई व छपाई का कार्य होता है।
प्रसिद्ध कलाकार :-मोहम्मद मासिन छिम्पा।
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